बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार किसी तरह से शेख हसीना अपने चंगुल में फंसाना चाहती है।
तख्तापलट के बाद से ही शेख हसीना भारत में हैं। बांग्लादेश ने भारत को डिप्लोमैटिक नोट भेजकर शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की थी।
हालांकि भारत ने इसपर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी। अब बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम ट्राइब्यूनल (ICT) के चीफ प्रॉसीक्यूटर मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने शनिवार को कहा है कि शेख हसीना समेत जो भी मानवता के गुनहगार हैं, उन्हें एक साल के अंदर सजा सुना दी जाएगी।
फोरम फॉर बांग्लादेश स्टडीज की तरफ से आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस ने कुछ प्राथमिकताएं तय की हैं।
उन्होंने दावा किया कि मोहम्मद यूनुस नेबताया है कि सबसे बड़ी प्राथमिकता उन लोगो पर मुकदमा चलाना है और जिन्होंने हत्याएं करवाईं और लोगों को गायब करवा दिया। उन लोगों ने बांग्लादेश की धरती छात्रों के खून से रक्तरंजित कर दी।
ताजुल ने कहा कि जुलाई और अगस्त में छात्रों के आंदोलन को रौंदने उनकी हत्याएं करवाने में हसीना का ही हाथ था। उन्होंने कहा कि हसीना और उनके कुछ साथियों का केस पहले फाइनल किया जाएगा।
वहीं बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे संजीब वाजिद ने मोहम्मद यूनुस नीत अंतरिम सरकार पर अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए न्यायपालिका का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
हसीना (77) पांच अगस्त से भारत में हैं। वह बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के चलते अवामी लीग की 16 साल पुरानी सरकार के पतन के बाद ढाका छोड़कर भारत पहुंची थीं।
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने ‘‘मानवता और नरसंहार के खिलाफ अपराधों’’ के लिए हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों तथा सैन्य एवं असैन्य अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।
बांग्लादेश के अघोषित विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने कहा कि ढाका चाहता है कि हसीना वापस आएं और न्यायिक प्रक्रिया का सामना करें।
वाजिद ने आरोप लगाया कि युद्ध अपराधियों का बचाव करने के प्रमाणित रिकॉर्ड के बावजूद यूनुस शासन द्वारा 22 दिसंबर को आईसीटी के मुख्य अभियोजक नियुक्त ताजुल इस्लाम ने हसीना के खिलाफ “जानबूझकर दुष्प्रचार अभियान चलाया” और दावा किया कि इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है।
वाजिद ने इसे “यूनुस के हितों की पूर्ति के लिए हसीना को प्रत्यर्पित करने और उनके खिलाफ हास्यास्पद मुकदमा चलाने की हताशापूर्ण कोशिश” करार दिया। उन्होंने कहा, “लेकिन मीडिया में झूठ उजागर होने के बाद अभियोजक ने बाद में अपना बयान बदल दिया और अब आधिकारिक तौर पर प्रत्यर्पण के लिए भारत को अनुरोध भेजा है।”
वाजिद ने आरोप लगाया, “हम अपनी मांग दोहराते हैं कि जुलाई और अगस्त के बीच मानवाधिकार उल्लंघन की हर एक घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जांच की जानी चाहिए, लेकिन यूनुस के नेतृत्व वाले शासन ने न्यायपालिका को (राजनीतिक प्रतिशोध का) हथियार बना दिया है, जिसके चलते हमारा न्याय प्रणाली में कोई विश्वास नहीं रह गया है।”
वाजिद ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में बांग्लादेश सरकार की तरफ से उन पर और उनके परिवार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को ‘फर्जी’ करार दिया।