सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- भाजपा पार्षद विजय मोटवानी ने महापौर व निगम प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्होंने प्रेस वार्ता लेकर मीडिया प्रतिनिधियों को निगम में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर खुलकर अपनी बात रखी।
विजय मोटवानी ने बताया कि नगर निगम द्वारा खरीदी की जाने वाली गार्डन चेयर में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है, साथ ही अनावश्यक की खरीदी भी की गई है, जिनकी क़ीमत दोगुने से भी ज़्यादा है।
मोटवानी ने बताया कि बीते 5 वर्षों में निगम सत्ताधारियों ने 57 लाख रुपए में कुल 340 नग कुर्सियां खरीदी, जो तय स्थानों से लापता हैं।
इसके अलावा बीते 5 वर्षों में कुल 14 नग ई रिक्शा की खरीदी कर लाखों की हेराफेरी की गई है। साथ ही शहर को रौशन करने एलईडी लाइट की खरीदी में भी भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि 45 वॉट की कुल 725 नग व 60 वॉट की 140 नग लाइट 40 लाख रुपए में खरीदी गई है, जिन्हें 4600 रुपए प्रति लाइट की कीमत से खरीदी की गई है, जिसका बाज़ार मूल्य 460 रुपए है। इतना ही नहीं जिन लाइटों की खरीदी की गई है उनमें सप्लाई करने वाली फर्म ने फर्जी लोगो भी लगाया है।
शहर की मुख्य सड़क (नेशनल हाइवे) में जिन 120 खंभों में एलईडी लाइट लगाई है उसकी कीमत 12 लाख रुपए बताई गई है जिसकी प्रति नग खरीदी 10 हजार रुपए हैं, जबकि उन लाइटों का बाज़ार मूल्य मात्र 600 रूपये है।
इसके अलावा स्वच्छता मिशन के तहत निगम के पास मिनी टिप्पर होने के बावजूद मार्च 2024 में 14 नग खरीदी कर लाखों की हेरफेर की गई है।
वहीं जेसीबी खरीदी में भी 27 लाख की जेसीबी को 33 लाख में खरीदी कर लाखों की कमीशनखोरी की गई है।
आगे मोटवानी ने आरोप लगाया कि ये सारा कमीशन व भर्राशाही का खेल किसी एक फर्म को आर्थिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है, जिसके संचालक द्वारा अलग अलग नामों से फर्म बनाकर निगम को व अन्य ठेकेदारों को लगातार चूना लगाया जा रहा है।
भाजपा पार्षद के इन तमाम आरोपों को सिरे से नकारते हुए महापौर विजय देवांगन ने कहा कि भाजपा पार्षदों द्वारा ऐसे आरोप पहली बार नहीं लगाए गए हैं। महापौर ने कहा कि अब तो 1 साल से सरकार भी उनकी है, वो चाहे जिससे भी जांच करवाना चाहें वो स्वतंत्र हैं, निगम की किसी भी खरीदी में महापौर या पार्षदों का कोई हस्तक्षेप नहीं है, सभी खरीदी अधिकारियों द्वारा की गई है, जिसमें किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं किया गया है। आगे उन्होंने बताया कि किसी भी वस्तु की खरीदी का मूल्य निर्धारण महापौर या पार्षदों द्वारा नहीं किया जाता, वो सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
महापौर विजय देवांगन ने बताया कि पहले भी एक बार भाजपा पार्षद ने मेरे ऊपर इसी तरह का आरोप लगाया था और कुछ दिन बाद रात 11 बजे मेरे घर आकर मेरे पैर छूकर मुझसे अपनी गलती की माफी मांगी थी, अब भी शायद ऐसा ही होगा कि वह पार्षद फिर मुझसे माफी मांगने आए।
निगम के सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप से शहर की जनता लगातार भ्रमित हो रही है, क्या ये सब चुनावी स्टंटबाजी है?