चीन और कनाडा के बाद इस देश पर बिगड़े ट्रंप, फंडिंग रोकने की दी धमकी; जानें वजह…

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजरें अब दक्षिण अफ्रीका पर तिरछी हो गई हैं।

ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका पर आरोप लगाया है कि वह कुछ खास श्रेणी के लोगों के साथ बहुत गलत व्यवहार कर रहा है। वह इसके लिए इस देश को कड़ा सबक सिखाना चाह रहे हैं।

उन्होंने कहाकि वह इस मामले की जांच कराएंगे और भविष्य की सभी आर्थिक मदद को रोक देंगे। ट्रंप ने कहाकि दक्षिण अफ्रीका जमीनों को जब्त कर रहा है और कुछ वर्गों के लोगों के साथ बहुत गलत व्यवहार कर रहा है।

उन्होंने कहाकि हालात बहुत बुरे हैं और वहां की वामपंथी मीडिया इसको दिखा नहीं रही है।

डोनाल्ड ट्रंप ने इसको लेकर अपने ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा है। अपने आरोपों में उन्होंने कहा है कि बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।

अमेरिका इस चीज का कभी साथ नहीं देगा। हम इस पर ऐक्शन लेंगे। इसके अलावा हम भविष्य की सभी आर्थिक मदद पर रोक लगाएंगे।

यह रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक कि हमारी जांच पूरी नहीं हो जाती है। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा का बयान आया था।

इसमें उन्होंने कहा था कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपने देश के संबंधों को लेकर चिंतित नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने जीत के बाद ट्रंप से बात की थी और आगे उनके प्रशासन के साथ काम करने को देख रहे हैं।

पहले कार्यकाल में कही थी यह बात
बता दें कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने अफ्रीकी देश में गोरे किसानों की बड़े पैमाने पर हत्या और उनकी जमीनों पर हिंसक कब्जे के आरोपों की जांच करने का वादा किया था।

ट्रंप ने 2018 में कहा था कि उन्होंने अपने तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पोंपियो से इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए कहा था। ट्रंप ने कहा था कि दक्षिण अफ्रीका अब मुआवजे के बिना जमीन जब्ती को लागू कर रहा है।

यह बहुत ही खतरनाक है। गोरे किसानों की टारगेट किलिंग के आरोप दक्षिण अफ्रीका के भूमि के पुनर्वितरण के चल रहे प्रयासों में निहित हैं।

इन देशों से छेड़ दिया है टैरिफ वॉर
गौरतलब है कि इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको, कनाडा और चीन के ऊपर बड़े टैक्स का ऐलान कर चुके हैं। इससे ट्रेड वॉर जैसे हालात बन गए हैं।

तीनों देशों ने ट्रंप के इस रवैये की आलोचना की है और पुरजोर जवाब देने की तैयारी में हैं। चीन ने तो मामला डब्लूटीओ तक ले जाने की चेतावनी दे डाली है।

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