“कुछ भी हो जाए, गोली मत चलाना; बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने खोला बड़ा राज”…

बांग्लादेश की अपदस्थ पीएम शेख हसीना को देश छोड़े 4 महीने हो चुके हैं और फिलहाल उनका वापसी का कोई इरादा नहीं है।

वहीं, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की सरपरस्ती में हिंदुओं के खिलाफ घोर हिंसा जारी है। यूनुस पूर्व पीएम हसीना पर जुबानी हमला भी जारी रखे हुए हैं।

इस बीच शेख हसीना ने बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि जिस दिन वो बांग्लादेश छोड़कर भारत आ रहीं थी, उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को साफ निर्देश दे रखे थे कि चाहे कुछ हो जाए, गोली मत चलाना। अगर गोली चल जाती तो कई निर्दोष लोगों की जान चली जाती।

इससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया ताकि तत्कालीन शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए विद्रोह को बदनाम करने के लिए ‘‘बड़े देशों की भागीदारी वाले अभियान’’ का मुकाबला किया जा सके। यूनुस का आरोप है कि शेख हसीना सरकार ने “सब कुछ नष्ट कर दिया। हमें (चुनाव कराने से पहले) अर्थव्यवस्था, शासन, नौकरशाही व न्यायपालिका में व्यापक सुधार करने की आवश्यकता है।

शेख हसीना ने कौन सा राज खोला

शेख हसीना ने 5 अगस्त को ढाका से भारत के लिए अपनी उड़ान भरने से पहले बांग्लादेश में हुई अराजकता का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हथियार लिए प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर कूच करने का निर्देश दिया गया था।

इसलिए मुझे मजबूरन वहां से निकलना पड़ा। अगर सुरक्षा गार्ड गोली चला देते तो कई लोगों की जान चली जाती। मैंने उनसे (गार्डों) से कहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए, गोली मत चलाना।”

भारत से हसीना का प्रत्यर्पण मांगेंगे- यूनुस

यूनुस ने एक बार फिर कहा है कि बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में हसीना के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई समाप्त होने के बाद, भारत को उन्हें प्रत्यर्पित कर देना चाहिए।

यूनुस ने कहा, ”मुकदमे की सुनवाई समाप्त होने के बाद निर्णय आने पर हम आधिकारिक तौर पर भारत से उन्हें सौंपने के लिए आग्रह करेंगे।” साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ”भारत इसके अनुपालन के लिए बाध्य होगा”।

गौरतलब है कि अगस्त में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं।

भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है। पिछले सप्ताह हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद स्थिति और बिगड़ गई है।

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