एक डॉलर की कीमत 81 रुपये के पार, रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरने से बढ़ेगी महंगाई…

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 81.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल और अन्य चीजों का आयात महंगा हो जाएगा, जिससे मुद्रास्फीति और बढ़ जाएगी।

मुद्रास्फीति पहले से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकतम सुविधाजनक स्तर छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है।

अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बार-बार बढ़ाने से भारतीय रुपये पर बना दबाव व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी की निकासी की वजह से और बढ़ने की आशंका है।

अगस्त 2022 में वनस्पति तेल का आयात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 41.55 फीसदी बढ़कर 1।89 अरब डॉलर रहा है।

कच्चे तेल का आयात बढ़ने से अगस्त में भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुना से अधिक होकर 27.98 अरब डॉलर हो गया।

इस वर्ष अगस्त में पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 87.44 फीसदी बढ़कर 17.7 अरब डॉलर हो गया।

इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘जिंसों के दामों में कमी का मुद्रास्फीति पर जो अनुकूल असर पड़ना था, वह रुपये में गिरावट की वजह से कुछ प्रभावित होगा।”

एसबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोई भी केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा के अवमूल्यन को फिलहाल रोक नहीं सकता है और आरबीआई भी सीमित अवधि के लिए रूपये में गिरावट होने देगा।

इमसें कहा गया, ‘‘यह भी सच है कि जब मुद्रा एक निचले स्तर पर स्थिर हो जाती है तो फिर उसमें नाटकीय ढंग से तेजी आती है और भारत की मजबूत बुनियाद को देखते हुए यह भी एक संभावना है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से नहीं, बल्कि डॉलर की मजबूती की वजह से आई है।

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