प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): केवल व्हाट्सएप मेसेज 94064 20131
इस समय चैत्र का महीना चल रहा है।
चैत्र माह में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन यानी 27 मार्च को है।
प्रदोष व्रत उदायतिथि के नियमानुसार रखा जाता है और शिवरात्रि में रात्रि पूजा का महत्व होता है, जिस वजह से प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत और चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि पड़ती है।
प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष अराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत का संयोग बेहद शुभ और खास होता है।
आइए जानते हैं पूजा-विधि-
मुहूर्त-
चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 01:42 ए एम, मार्च 27
चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त – 11:03 पी एम, मार्च 27
प्रदोष काल- 06:36 पी एम से 08:56 पी एम तक (प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है।)
मासिक शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त- 12:03 ए एम से 12:49 ए एम, मार्च 28
पूजा-विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीजें-
जल,दूध, दही, शहद, इत्र, घी, चंदन।