सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- शहर व आसपास के इलाकों इन दिनों अवैध प्लॉटिंग धड़ल्ले से चल रही है। जिसे लेकर शहर में चर्चा है कि भूमाफियाओं में प्रशासनिक कार्यवाही का कोई डर नहीं रह गया है।
बता दें कि यह चलन बीते कई वर्षों से लगातार बढ़ता चला जा रहा है जिस पर किसी भी तरह का प्रभावी अंकुश अब तक नहीं लग पाया है।
अब तो भूमाफियाओं की हौसले इतने बुलंद हो चले हैं कि उन्हें न जिला कार्यालय दिखाई दे रहा है और न ही प्रशासनिक आला अधिकारियों का आवास! शहर के बाहरी इलाकों में अवैध प्लॉटिंग हो तो कहा भी जा सकता है कि प्रशासनिक नज़र उन पर न पड़ी हो! लेकिन अब तो हालात ऐसे हो चले है कि जिले के सबसे बड़े कार्यालय कलेक्ट्रेट के रास्ते में अवैध प्लॉटिंग का खेल बिंदास चल रहा है।
सुमित बाज़ार के पास लगभग 14 एकड़ खेत में मुरूम का रास्ता बनाकर अवैध प्लॉटिंग की जा रही है, इतना ही नहीं वहां पहुंचने के लिए निगम के नाले के ऊपर कांक्रीट की ढलाई तक की जा चुकी है।
जिसके ख़िलाफ़ अब तक कोई प्रभावी कदम ज़िम्मेदारों के द्वारा नहीं उठाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इस अवैध खेल में एक तथाकथित समाजसेवी की बड़ी भूमिका है, साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है।
देखा जाए तो नगर निगम, राजस्व विभाग, रजिस्ट्री विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग की तरफ से कोई बड़ी कार्यवाही अब तक सामने नहीं आई है, बहुत ज्यादा ख़बरें मीडिया में आने के बाद इनके द्वारा चंद ट्रैक्टर मुरूम जप्त कर इतिश्री कर दिया जाता है।
मालूम हो कि कलेक्टर द्वारा बीते दिनों अवैध प्लॉटिंग पर सख़्त कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे, लेकिन वो निर्देश शायद अब तक यहां के अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाया है, यही वजह है कि भूमाफ़िया बेख़ौफ़ होकर लाखों की ज़मीनों से करोड़ों बनाने में लगे हुए हैं।
निष्क्रिय जनप्रतिनिधि की प्रतिक्रियाएं…
शहर के एक जनप्रतिनिधि की प्रतिक्रिया (वीडियो) सुर्खियों में आई है जो अवैध प्लॉटिंग पर प्रशासन को आँखें दिखाते नज़र आ रहा है। बता दें कि उस जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता की चर्चाएं शहर समेत ज़िले में आम हैं।
अतिविश्वसनीय सूत्र ने बताया कि उसकी ये लाल आँखें केवल तभी तक हैं जब तक उसकी भेंट पूजा न हो जाए, बाकी जनता से जुड़े मामलों से उसे कोई ख़ास सरोकार नहीं है।
यही वजह है कि शहर में अव्यवस्थाओं का अंबार है, जिससे उसे कोई मतलब नहीं है। ऐसे जनप्रतिनिधियों से उम्मीद करना भी खुद को झूठा दिलासा देने के बराबर है।
बहरहाल धमतरी की जनता को इन सब से कब छुटकारा मिलेगा, ये स्पष्ट नही कहा जा सकता।