प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
हर साल पितरों की शांति के लिए पितृ पक्ष के दौरान तर्पण, पिंड दान व दान आदि कार्य किए जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पितर पृथ्वी पर आते हैं। पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध कर्म करना महत्वपूर्ण माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ शांति के लिए श्राद्ध को सही तिथि व विधि के साथ करने का विधान है।
आज, रविवार को पितृ पक्ष का 12वां दिन रहेगा। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के 12वें दिन या द्वादशी तिथि पर श्राद्ध करने का टाइम-
पितृ पक्ष का 12वां दिन आज:29 सितंबर, के दिन पितृ पक्ष का 12वां दिन या द्वादशी तिथि श्राद्ध रहेगा। पंचांग अनुसार, पितृपक्ष की द्वादशी तिथि पर इस उत्तम समय में करें श्राद्ध-
द्वादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 28, 2024 को 14:49 बजे
द्वादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 29, 2024 को 16:47 बजे
कुतुप मूहूर्त – 11:47 से 12:35
- अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त – 12:35 से 13:23
- अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स
अपराह्न काल – 13:23 से 15:46
अवधि – 02 घण्टे 23 मिनट्स
द्वादशी श्राद्ध कैसे करें?
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं।
स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
पितृस्थान को गाय के गोबर से लीप कर और गंगाजल से पवित्र करें।
महिलाएं स्नान करने के बाद पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।
श्राद्ध भोज के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही निमंत्रण दे दें।
ब्राह्मणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराएं।
पितरों का नाम लेकर श्राद्ध करने का संकल्प लें।
जल में काला तिल मिलाकर पितरों को तर्पण दें।
पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, घी, खीर और दही अर्पित करें।
चावल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
ब्राह्मण को पूरे सम्मान के साथ भोजन कराएं।
अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा दें।
इसके बाद आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें।
श्राद्ध में पितरों के अलावा कौआ, गाय, कुत्ते और चींटी को भोजन खिलाने का विधान है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।