प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
: श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं। इस दौरान एकादशी व्रत का बेहद शुभ फलदायी माना गया है।
अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी व्रत रखा जाता है। इस दिन विष्णुजी की पूजा-आराधना के साथ पितरों के नाम से दान-पुण्य के कार्य अच्छे माने जाते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों के आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष में कल यानी 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी व्रत की सही तिथि व पूजाविधि…
अश्विन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को दोपहर 01: 20 मिनट से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी और 28 सितंबर को दोपहर 02 : 50 मिनट समापन होगा।
ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
पारण टाइमिंग : द्रिक पंचांग के अनुसार,29 सितंबर 2024 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 36 मिनट तक द्वादशी तिथि में इंदिरा एकादशी व्रत के पारण किया जा सकता है।
इंदिरा एकादशी व्रत की विधि : इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।
पूजा के लिए पीले वस्त्र,पीले रंग की मिठाई,अक्षत, हल्दी,चंदन और फल-फूल समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर लें। अब एक छोटी चौकी पर पीले वस्त्र बिछाएं।
इस पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। विष्णुजी और देवी लक्ष्मी के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें और उन्हें फल,फूल,धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। विष्णुजी की पूजा के दौरान उन्हें पंचामृत,खीर, पंजीरी या बेसन के लड्डू को भोग लगाएं।
इसके अलावा उन्हें तुलसी दल जरूर अर्पित करें, लेकिन तुलसी का पत्ता एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें। एकादशी व्रत के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने की मनाही होती है।
इंदिरा एकादशी के दिन क्या करें ?
इंदिरा एकादशी के दिन विष्णुजी के व्रत व पूजन के साथ पूर्वजों के नाम दान-पुण्य के कार्य अति शुभ माने जाते हैं। इस दिन आप वस्त्र,काले तिल,नारियल,पंचमेवा, जौ,अन्न-धन और तुलसी का पौधा दान कर सकते हैं।
इंदिरा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नानादि के बाद तर्पण और पितरों के श्राद्ध कर्म के कार्य शुभ माने जाते हैं। मान्यता है कि इससे पितरों के आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इंदिरा एकादशी के दिन क्या न करें?
इंदिरा एकादशी व्रत के दिन व्रती के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन करना चाहिए।
व्रती को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। वाणी पर संयम रखें। अत्यधिक भोजन के सेवन से परहेज करें।
इंदिरा एकादशी के दिन व्रती को वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए।