पंजाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के इस्तीफा देने की खबरें हैं।
राज्य में 15 अक्टूबर को पंचायत चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले भाजपा को यह बड़ा झटका लगने की बात कही जा रही है।
इस बीच भाजपा की ओर से इसका खंडन किया गया है और ऐसी खबरों को गलत बताया गया है।
पंजाब भाजपा के महासचिव अनिल सरीन ने कहा कि उनके इस्तीफा देने की सारी खबरें आधारहीन और गलत हैं।
उन्होंने कहा कि सुनील जाखड़ पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और अपना काम कर रहे हैं। विपक्षी दलों की ओर से उनके इस्तीफे का प्रोपेगेंडा फैलाया गया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सुनील जाखड़ पद पर बने हुए हैं। बीते कुछ दिनों में वह व्यस्त रहे हैं और पार्टी के मंचों पर कम दिखे। इसके चलते ऐसी चर्चाएं शुरू कर दी गईं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सुनील जाखड़ ने पार्टी नेतृत्व से इच्छा जताई है कि वह अब प्रदेश अध्यक्ष पद पर नहीं रहना चाहते।
उनका कहना है कि वह एकदम फ्री होकर राज्य में काम नहीं कर पा रहे हैं। चर्चाएं हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही सुनील जाखड़ की सक्रियता राज्य की पॉलिटिक्स में कम है।
वह आखिरी बार 3 सितंबर को चंडीगढ़ में भाजपा दफ्तर में हुई एक मीटिंग में नजर आए थे। इस दिन पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत होनी थी।
सुनील जाखड़ ने मई 2022 में कांग्रेस छोड़ दी थी, जिसके साथ वह दशकों तक जुड़े रहे थे। इसके बाद वह जुलाई में ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे।
यह उनके बड़ा मौका था क्योंकि भाजपा के परंपरागत नेताओं के स्थान पर उन्हें अध्यक्ष पद दिया गया था। हालांकि इसे लेकर भाजपा में अंदरखाने थोड़ा असंतोष भी था।
कुछ लोगों का कहना था कि दशकों तक कांग्रेसी रहे एक नेता को आखिर कैसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
इसके अलावा सुनील जाखड़ और केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के बीच खराब रिश्तों की भी चर्चा होती रही है। सुनील जाखड़ के भाजपा नेता राणा सोढी से भी बहुत अच्छे रिश्ते नहीं रहे हैं।