वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति की गुरुवार को हुई बैठक में सांसदों ने शीर्ष अधिकारियों से कई कड़े सवाल किए, जिसमें विपक्षी दलों के सदस्यों ने तर्क दिया कि मंत्रालय मसौदा विधेयक पर स्वतंत्र रूप से विचार नहीं कर रहे हैं और केवल सरकारी नजरिए का ही अनुसरण कर रहे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति को गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मौजूद वक्फ संपत्तियों से अवगत कराया गया जिसमें सड़क परिवहन एवं रेल मंत्रालयों से संबंधित भूमि पर उपस्थित संपत्तियां शामिल हैं।
इस बैठक में शहरी मामलों एवं सड़क परिवहन विभाग के सचिव अनुराग जैन और रेलवे बोर्ड के सदस्य (अवसंरचना) अनिल कुमार खंडेलवाल तथा संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों ने प्रस्तुति दी।
बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कल्याण बनर्जी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह सहित विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस भी हुई, जिसके कारण समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को हस्तक्षेप करना पड़ा।
मंत्रालयों ने तर्क दिया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक से उन्हें सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने और विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।
विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि मौजूदा कानूनों में ऐसी स्थिति में चुनौती देने का प्रावधान है जब किसी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ के रूप में अधिसूचित किया गया है, जबकि सरकार तो यह कह रही है कि यदि वह ऐसी संपत्ति पर दावा करती है तो उससे कोई सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए।
विपक्षी दल के एक सदस्य ने कहा, ‘तीनों मंत्रालयों ने बिना किसी विचार के केवल केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया है।’ शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने दिल्ली शहर के निर्माण के लिए 1911 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के बारे में समिति को जानकारी दी।
संसदीय सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान उस समय तीखी बहस हुई जब शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारी ब्रिटिश प्रशासन द्वारा अपनाई गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं दे पाए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति में विपक्ष के एक सदस्य ने दावा किया, ‘कुछ सूचनाओं को दबाने की भी कोशिश की गई।’