फ्रांस की राजधानी पेरिस में आज (शुक्रवार) से ओलंपिक खेलों का रंगारंग आगाज होने जा रहा है।
भारतीय समयानुसार रात 11.30 बजे उद्घाटन समारोह राजधानी पेरिस की सीन नदी के किनारे भव्य परेड के साथ होगा। इसके लिए 80 से ज्यादा बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई गईं हैं।
समारोह में जैसे ही इजरायल की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम भाग लेने पहुंची, वहां मौजूद दर्शकों ने इजरायल का राष्ट्रगीत गाकर उसका स्वागत किया लेकिन थोड़ी ही देर में मुस्लिम बहुल देश फिलिस्तीन के पक्ष में नारे लगने लगे और वहां फिलिस्तीन को आजाद करो के नारे गूंजने लगे।
एक दिन पहले भी, जब फिलिस्तीन का ओलंपिक दल पेरिस पहुंचा तो लोगों ने तालियों और तोहफों के साथ उनका स्वागत किया था।
खिलाड़ियों पर फूल भी बरसाए गए थे। पेरिस हवाई अड्डे से बाहर निकलकर फिलिस्तीन के खिलाड़ियों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अब तक 39000 फिलिस्तीनियों की जान ले चुके इजरायल-हमास युद्ध के बीच उनकी मौजूदगी दुनिया को बड़ा संदेश देगी।
इस बीच, खिलाड़ियों, फ्रांस के समर्थकों और राजनीतिज्ञों ने यूरोपीय देशों से फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया है।
कइयों ने तो ओलंपिक में इजरायली खिलाड़ियों के खेलने पर नाराजगी भी जताई है। बता दें कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इजरायल पर युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगाए गए हैं और उस पर मुकदमा चल रहा है।
अब तक किन-किन देशों पर लगा ओलंपिक में बैन
ओलंपिक खेलों में प्रतिबंध लगने का पहला मामला 1920 में प्रथम विश्वयुद्ध के समय आया था। तब बेल्जियम के एंटवर्प में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया और तुर्की को प्रथम विश्व युद्ध में उनकी भूमिका और भागीदारी की वजह से प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके बाद 1924 में आयोजित पेरिस ओलंपिक में जर्मनी पर भी बैन लगा दिया गया था।
1948 में लंदन में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में द्वितीय विश्व युद्ध में जंग में उसकी भूमिका और इससे हुई तबाही के लिए जर्मनी और जापान पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
रंगभेद शासन के परिणामस्वरूप नस्लीय अलगाव के कारण दक्षिण अफ्रीका को भी 1964 से 1992 तक प्रतिबंधित कर दिया गया था।
1972 में जिम्बावबे, जो तब रोडेशिया नाम से जाना जाता था, पर अंतरराष्ट्रीय दबाव में बैन लगा दिया गया था।
साल 2000 में मेलबर्न ओलंपिक में अफगानिस्तान पर भी बैन लग चुका है। 2016 के ओलंपिक खेलों में भाग लेने से कुवैत को 2015 में ही सस्पेंड कर दिया गया था।