यूक्रेन पर रूस का आक्रमण शुरू होने के बाद रूस की पहली यात्रा के तहत मॉस्को पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता करेंगे।
इस यात्रा को व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ और संकेत के रूप में देखा जा रहा है। मॉस्को पहुंचने के तुरंत बाद मोदी ने कहा कि वह भविष्य के क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और प्रगाढ़ करने के लिए उत्सुक हैं और भारत और रूस के बीच मजबूत संबंधों से “हमारे लोगों को बहुत लाभ होगा।’’ प्रधानमंत्री ने अपने प्रस्थान वक्तव्य में कहा कि भारत शांतिपूर्ण और स्थिर क्षेत्र के लिए ‘‘सहायक भूमिका’’ निभाना चाहता है।
अधिकारियों ने बताया कि रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव ने वनुकोवो-दो हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी की। मांतुरोव मोदी को हवाई अड्डे से उनके होटल तक छोड़ने उनके साथ गए।
मांतुरोव ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा के दौरान उनका भी स्वागत किया था। इसे एक बड़ी कूटनीतिक पहल बताया जा रहा है।
रूस चीन और भारत को बराबर नजरिए से देख रहा है और दोनों ही देशों के प्रमुखों को बराबर सम्मान दे रहा है। यह पीएम मोदी और भारत के लिए गौरव और सम्मान की बात है।
मंगलवार को मोदी राष्ट्रपति पुतिन के साथ 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करेंगे, भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत करेंगे और एक प्रदर्शनी में रोसाटॉम मंडप का दौरा करेंगे।
प्रधानमंत्री का ‘अज्ञात सैनिक की समाधि’ पर पुष्पांजलि अर्पित करने का भी कार्यक्रम है।
22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का जोर ऊर्जा, सुरक्षा, व्यापार, निवेश और लोगों के बीच आदान-प्रदान के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर होने की संभावना है।
चर्चाओं में यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा होने की संभावना है। वार्ता में मोदी रूसी पक्ष से रूसी सेना में सहायक कर्मचारियों के रूप में भारतीयों की भर्ती समाप्त करने और सेना में अभी भी कार्यरत लोगों की वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह कर सकते हैं।
भारत और रूस के बीच किन मुद्दों पर चर्चा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मामले में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि वार्षिक शिखर सम्मेलन, मोदी और पुतिन के लिए दो-तरफा व्यापार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीधी बातचीत पर केंद्रित होगा।
भारत और रूस ने 2025 तक 30 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया था, 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 65.7 बिलियन डॉलर हो गया, इसके पीछे की मुख्य वजह पश्चिम के प्रतिबंधों और मूल्य सीमा लागू होने के बाद भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद है।
व्यापार अभी भी हालांकि पूरी तरह से रूसी पक्ष में है। वहीं, भारतीय निर्यात 5 अरब डॉलर से भी कम है। भारत की कोशिश दो-तरफा व्यापार को संतुलित करने पर होगी।
मामले की जानकारी रखने वालों का कहना है कि भारतीय पक्ष से रूस पर अपने आयात का विस्तार और विविधता लाने के लिए दबाव डालने की उम्मीद है। दोनों पक्ष राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान को सुव्यवस्थित करने और रूस की बैंकिंग प्रणाली पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण लगे प्रतिबंधों पर काबू पाने पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
पीएम मोदी के रूस दौरे के मायने क्या हैं?
भारतीय प्रधानमंत्रियों के अपने नए कार्यकाल की शुरुआत आमतौर पर पड़ोसी देशों की यात्रा से शुरू होती है। इससे हटकर पीएम मोदी ने रूस की यात्रा चुनी।
वैसे भारत और रूस के बीच शिखर वार्ता साल के आखिरी महीने में होती आई है। इस बार पीएम मोदी साल के बीच में रूस का दौरा कर रहे हैं। पीएम मोदी की रूस यात्रा ने राजनयिक हलकों में भारत की विदेश नीति की चर्चा हो रही है। पीएम मोदी जिस दिन रूस के दौरे पर पहुंचे, उसी दिन अमेरिका में नेटो समिट हो रहा है। ये समिट रूस-यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रित हो सकता है।
इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “मॉस्को पहुंच गया हूं। हमारे देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की उम्मीद है, खासकर सहयोग के भविष्योन्मुखी क्षेत्रों में।” उन्होंने कहा, “हमारे देशों के बीच मजबूत संबंधों से हमारे लोगों को बहुत लाभ होगा।”
यह 2019 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी की रूस की पहली और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद उनकी रुस की पहली यात्रा और प्रधानमंत्री के तौर पर उनके तीसरे कार्यकाल की पहली यात्रा भी है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन आज रात मोदी के लिए एक निजी रात्रिभोज की मेजबानी करने वाले हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच विशेष साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ महत्वपूर्ण बातचीत करेंगे। वह रूस में भारतीय समुदाय के साथ भी संवाद करेंगे।’’
मास्को पहुंचने पर भारतीय प्रधानमंत्री को हवाई अड्डे पर ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। शहर में कार्लटन होटल में भारतीय मूल के लोगों ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया और कुछ रूसी कलाकारों ने हिंदी गीतों की धुन पर नृत्य कर उनका स्वागत किया। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, “मास्को में एक यादगार स्वागत! मैं भारतीय समुदाय को उनके स्नेह के लिए धन्यवाद देता हूं।”
मोदी ने रूस रवाना होने से पहले एक बयान में कहा, ”भारत और रूस के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पिछले 10 वर्षों में और बढ़ी है, जिसमें ऊर्जा, सुरक्षा, व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और लोगों से लोगों का संपर्क आदि क्षेत्र शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं, मेरे मित्र राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा करने और विभिन्न क्षेत्रीय एवं वैश्विक मामलों पर दृष्टिकोण साझा करने को लेकर आशान्वित हूं।’’
उन्होंने कोई विशिष्ट उल्लेख किये बिना कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण एवं स्थिर क्षेत्र के लिए सहयोगात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं।’’ रूस के साथ अपनी ‘विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी’ का भारत पुरजोर बचाव करता रहा है और यूक्रेन संघर्ष के बावजूद संबंधों में गर्मजोशी बनी रही है।
रूस के साथ अपनी मजबूत दोस्ती को इंगित करते हुए भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है। भारत यह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह यात्रा उन्हें रूस में भारतीय मूल के लोगों से मिलने का अवसर भी प्रदान करेगी। मोदी ने मास्को रवाना होने से पहले ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अगले तीन दिन, मैं रूस और ऑस्ट्रिया में रहूंगा। ये दौरे इन देशों के साथ संबंधों को गहरा करने का एक शानदार अवसर होंगे, जिनके साथ भारत की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है।’’
मोदी की मॉस्को यात्रा से पहले रूस के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि एजेंडा व्यापक होगा। उन्होंने कहा था, ‘‘जाहिर है, एजेंडा व्यापक होगा। यह एक आधिकारिक यात्रा होगी और हमें उम्मीद है कि दोनों राष्ट्र प्रमुख अनौपचारिक रूप से भी बातचीत कर पाएंगे।’’
भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है।
वार्षिक शिखर सम्मेलन भारत और रूस में बारी-बारी से होते हैं। इससे पहले पिछला शिखर सम्मेलन छह दिसंबर 2021 को नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था। इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए थे।
उक्त शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने 28 सहमति पत्रों और समझौतों पर हस्ताक्षर किए तथा “शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत-रूस साझेदारी” शीर्षक से एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने आखिरी बार 16 सितंबर, 2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय वार्ता की थी। इस दौरान मोदी ने यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए पुतिन पर दबाव डालते हुए कहा था, ‘‘आज का युग युद्ध का नहीं है।’’
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, मोदी ने पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ टेलीफोन पर कई बार बातचीत की है।
नौ जुलाई को रूस में अपने कार्यक्रम समाप्त करने के बाद मोदी ऑस्ट्रिया के लिए रवाना होंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 40 वर्षों में ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा होगी।