महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल की पहचान अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के बड़े नेता के तौर पर है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के इस सीनियर नेता को राजनीतिक हलकों में तेजतर्रार व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जो अक्सर अपने मन की बात बोल दिया करता है।
ऐसा लगता है कि भुजबल ने एक बार फिर अपनी पार्टी और महायुति गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस बार उन्होंने मराठा आरक्षण और पार्टी प्रमुख अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा के राज्यसभा नामांकन का मुद्दा उठाया है।
बीते लोकसभा चुनाव में NDA के खराब प्रदर्शन को लेकर भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित की एनसीपी जैसे महायुति सहयोगियों में तनाव है।
इस बीच, भुजबल के अपनी पार्टी से बाहर निकलने की अटकलें तेज हो गई हैं। ऐसे में इस साल अक्टूबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ खेमे की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। साथ ही, अजित पवार संग खेला होने का भी डर है।
छगन भुजबल ने बीते दिनों अपनी इस बात को दोहराया कि मराठा समुदाय को OBC के कोटा में से आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
उन्होंने राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने की अपनी मांग भी दोहराई। भुजबल का बयान आरक्षण कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे के विरोध प्रदर्शन के बीच आया जो पिछले छह दिन से अनशन पर हैं।
भुजबल ने कहा कि वे मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इससे ओबीसी आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हम यह बात नहीं कह रहे, बल्कि पहले चार आयोग यह बात कह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके लिए मना किया है।
साथ ही, राज्य में जाति आधारित जनगणना से OBC समुदाय के लिए और धन आवंटन का रास्ता साफ होगा।’ उन्होंने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि फिर से ओबीसी कोटे में से मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठ रही है।
राज्यसभा टिकट को लेकर किसके साथ अन्याय?
छगन भुजबल ने कहा था कि उनकी इच्छा सांसद बनने की है और इसीलिए वह नासिक क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे।
साथ ही, वह राज्यसभा नामांकन के लिए भी उत्सुक थे। भुजबल इन खबरों को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को उच्च सदन के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वह परेशान हैं।
ओबीसी नेता से पूछा गया कि क्या लोकसभा और राज्यसभा टिकट को लेकर उनके साथ अन्याय हुआ है? इस पर उन्होंने कहा कि यह सवाल ‘उनसे’ पूछा जाना चाहिए।
भुजबल की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर अजित पवार ने कहा कि उनकी पार्टी के सहयोगी ने खुद उनसे कहा था कि वह नाराज नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष सहित कुछ लोग और ‘हमारे करीबी मित्र’ ऐसी खबरें फैला रहे हैं, लेकिन उनमें कोई सच्चाई नहीं है।
भुजबल का नाराजगी से इनकार, मगर…
इस बीच, शिवसेना (UBT) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भुजबल के संभावित रूप से एनसीपी से बाहर निकलने की रिपोर्टों का जिक्र कर दिया। हालांकि, भुजबल ने ऐसे किसी भी कदम से इनकार किया है।
सुनेत्रा पवार के नामांकन से नाराजगी को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं परेशान नहीं हूं। राजनीतिक दल में रहते समय आपको मिलजुलकर फैसले लेने होते हैं। हर चीज किसी की इच्छा से नहीं होती।
मैं निर्दलीय नहीं हूं कि अपनी मर्जी से चलूंगा।’ मालूम हो कि अविभाजित शिवेसना के तेजतर्रार नेता रहे भुजबल ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए करीब तीन दशक पहले पार्टी (शिवेसना) छोड़ी थी।
जब शरद पवार ने कांग्रेस छोड़ी तब भुजबल भी एनसीपी में चले गए। पिछले साल भुजबल NCP के उन 8 नेताओं में थे जिन्होंने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली।
इस तरह शरद पवार की ओर से बनाई गई पार्टी राकांपा में विभाजन हो गया।