लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मंत्रिमंडल में जगह बनाने को लेकर एनडीए की पार्टियों के बीच खींचतान की खबरें आनी शुरू हो गई थी।
अब मंत्री पद को लेकर महाराष्ट्र के दो दिग्गज अजित पवार और एकनाथ शिंदे नाखुश हैं। गठबंधन सरकार चलाने की समस्याएं और खतरे सोमवार सुबह बीजेपी और उसके महाराष्ट्र के सहयोगियों – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के एनसीपी गुट की नाराजगी की खबरों के रूप में सामने आई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिकॉर्ड तीसरी बार शपथ लेने के बाद रविवार को 71 सांसदों ने शपथ ली। इनमें भाजपा और ‘किंगमेकर’ एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू सहित सहयोगी दलों के सांसद भी शामिल थे।
उन 71 में से 6 महाराष्ट्र से हैं। महाराष्ट्र के 48 लोकसभा सीटों में से एनडीए को केवल 17 सीटें मिलीं। इसमें भाजपा को नौ, सेना गुट को सात और एनसीपी को एक सीट मिली है। 2019 में भाजपा को 23 और सेना (तब अविभाजित) को 18 सीटें मिलीं थी।
इंतजार करने के लिए तैयार है: अजित पवार
इन 6 में से चार मंत्री बीजेपी से हैं। पांचवें शिंदे सेना के प्रतापराव जाधव हैं । इसी तरह की पेशकश अजित पवार की पार्टी एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल को भी दी गई थी, लेकिन इसे “डिमोशन” कहकर अस्वीकार कर दिया गया था।
एनसीपी की ओर से तर्क यह है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री के रूप में पटेल जूनियर मंत्री का पद संभालने के लिए बहुत वरिष्ठ व्यक्ति हैं।
रविवार को अजित पवार मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए दिल्ली आए थे । इस दौरान उन्होंने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी उस कैबिनेट बर्थ के लिए “इंतजार करने के लिए तैयार है।”
उन्होंने कहा “हमारे पास एक लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद ((सुनील तटकरे और प्रफुल पटेल) हैं। आने वाले महीनों में, हमारे पास दो और राज्यसभा सांसद होंगे।
फिर हमारे पास चार सांसद होंगे और हमें कैबिनेट बर्थ मिलनी चाहिए। हम इंतजार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें कैबिनेट बर्थ चाहिए।”
पटेल भी इसी तरह दृढ़ थे, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं पहले कैबिनेट मंत्री था। राज्य मंत्री बनाया जाना एक डिमोशन है।” प्रफुल पटेल, जो अब राज्यसभा सांसद हैं, 2011 से 2014 तक भारी उद्योग मंत्री थे।
हालांकि, अजित पवार और प्रफुल पटेल ने फिलहाल मोदी की पार्टी को अपना समर्थन दिया है। वरिष्ठ भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि जब मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा, तो एनसीपी के लिए एक अच्छे पद पर “विचार” किया जाएगा।
शिंदे सेना की मांग
इस बीच, शिंदे सेना ने तीन पदों की मांग की थी – एक कैबिनेट में और दो जूनियर मंत्री पद। हालांकि शिंदे सेना को सिर्फ एक राज्य मंत्री पद मिला। शिंदे अभी अधिक सौहार्दपूर्ण मूड में हैं। उनकी पार्टी ने प्रस्तावित पद स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह भी कहा है कि उन्हें अगले मंत्रिमंडल विस्तार में अपना “हिस्सा” मिलने की उम्मीद है।
भाजपा के लिए है चुनौती
भाजपा के लिए उन दो पदों पर कितली जगह है यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब अपनी अधिकतम संख्या से केवल नौ पद खाली है। मोदी को एनसीपी की कैबिनेट पद की मांग पर भी विचार करना होगा।
भाजपा ने महाराष्ट्र के अपने सांसदों को दो कैबिनेट पद और दो जूनियर पद दिए हैं, जिनमें से एक स्वतंत्र प्रभार का है। भाजपा नौ सांसदों के साथ राज्य से (एनडीए सदस्यों में) सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन यह 28 सीटों पर चुनाव लड़ने से 32 प्रतिशत का रिटर्न है। दूसरी ओर, शिवसेना ने केवल 15 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन छह पर जीत हासिल की। एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल एक पर जीत हासिल की। जिन तीन सीटों पर वह हारी, उनमें हाई-प्रोफाइल बारामती निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है, जो पार्टी के संस्थापक शरद पवार का गढ़ है।