कई भारतीयों का विदेश में नौकरी करने का सपना होता है।
लेकिन इस सपने को पूरा करने के चक्कर में लोग बुरी तरह धोखाधड़ी के दलदल में फंस जाते हैं।
इसीलिए भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एक बार फिर से एडवाइजरी जारी की है। भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को नौकरी के लिए कंबोडिया जाने वाले लोगों को एक सलाह जारी की है।
दूतावास ने कहा है कि भारतीय नागरिकों को केवल विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा अप्रूव अधिकृत एजेंटों के माध्यम से ही रोजगार के लिए दूसरे देश जाना चाहिए।
एडवाइजरी में धोखाधड़ी वाली नौकरी की पेशकश से जुड़े महत्वपूर्ण जोखिमों की रूपरेखा दी गई है और सावधानी की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। भारतीय दूतावास ने कहा कि कंबोडिया में नौकरी चाहने वाले नोम पेन्ह (राजधानी) में भारतीय दूतावास से भी संपर्क कर सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें भारतीय नागरिकों को थाईलैंड के रास्ते लाओस में रोजगार का लालच दिया जा रहा है।
दूतावास ने बताया कि ये फर्जी नौकरियां लाओस में गोल्डन ट्रायंगल स्पेशल इकोनॉमिक जोन में कॉल-सेंटर घोटालों और क्रिप्टो-करेंसी धोखाधड़ी में शामिल संदिग्ध कंपनियों द्वारा ‘डिजिटल सेल्स एंड मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स’ या ‘कस्टमर सपोर्ट सर्विस’ जैसे पदों के लिए हैं।
दूतावास ने एडवाइजरी में कहा, “सभी भारतीय नागरिक जो कंबोडिया और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में नौकरियों के लिए जा रहे हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि इस क्षेत्र में कई नकली एजेंट काम कर रहे हैं, जो भारत में एजेंटों के साथ मिलकर लोगों को धोखाधड़ी वाली कंपनियों में शामिल करने का लालच दे रहे हैं। वे विशेष रूप से साइबर अपराधों में शामिल हैं। जो कोई भी कंबोडिया में नौकरी करना चाहता है, उसे ऐसा केवल भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा अप्रूव अधिकृत एजेंटों के माध्यम से ही करना चाहिए।”
कंबोडिया में भारतीय दूतावास के अनुसार, इन फर्मों से जुड़े दुबई, बैंकॉक, सिंगापुर और भारत जैसे स्थानों में एजेंट एक साधारण इंटरव्यू और टाइपिंग टेस्ट लेकर भारतीय नागरिकों की भर्ती कर रहे हैं, और वापसी हवाई टिकट के साथ तगड़ी सैलरी, होटल बुकिंग और वीजा की पेशकश कर रहे हैं।
एडवाइजरी में, कंबोडिया में भारतीय दूतावास ने कहा, “हाल ही में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें भारतीय नागरिकों को थाईलैंड के माध्यम से लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (जिसे लाओस भी कहा जाता है) में रोजगार का लालच दिया जा रहा है।
ये फर्जी नौकरियां लाओस में गोल्डन ट्राएंगल स्पेशल इकोनॉमिक जोन में कॉल-सेंटर घोटालों और क्रिप्टो-मुद्रा धोखाधड़ी में शामिल संदिग्ध कंपनियों द्वारा ‘डिजिटल सेल्स एंड मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव्स’ या ‘कस्टमर सपोर्ट सर्विस’ जैसे पदों के लिए हैं।
कंबोडिया में भारतीय दूतावास ने कहा कि पीड़ितों को अवैध रूप से थाईलैंड से लाओस में सीमा पार ले जाया जाता है और कठोर और मुश्किल हालातों में लाओस में “गोल्डन ट्रायंगल विशेष आर्थिक क्षेत्र” में काम करने के लिए बंदी बना लिया जाता है। कभी-कभी, उन्हें आपराधिक सिंडिकेट द्वारा बंधक बना लिया जाता है। अवैध गतिविधियां और लगातार शारीरिक और मानसिक यातना के तहत कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।”
इसमें कहा गया है, “थाईलैंड या लाओस में वीजा ऑन अराइवल रोजगार की अनुमति नहीं देता है और लाओस अधिकारी ऐसे वीजा पर लाओस आने वाले भारतीय नागरिकों को वर्क परमिट जारी नहीं करते हैं। पर्यटक वीजा का इस्तेमाल केवल इसी उद्देश्य के लिए किया जाना है। कृपया ध्यान दें कि लाओस में मानव तस्करी अपराधों के दोषियों को 18 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई है।”