प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
22 अप्रैल, रविवार को अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है, जो महादेव को समर्पित है। रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना होगी। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से मनोकामना पूर्ति का वरदान मिलता है। आइए जानते हैं प्रदोष शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, मंत्र और उपाय-
प्रदोष व्रत पर अद्भुत संयोग
रवि प्रदोष व्रत के दिन कई शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है।
इस बार प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग के संयोग में रखा जाएगा। उदया तिथि के चलते 21 अप्रैल को रवि प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
रवि प्रदोष शुभ मुहूर्त-
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 20, 2024 को 10:41 पी एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – अप्रैल 22, 2024 को 01:11 ए एम बजे
दिन का प्रदोष समय – 06:51 पी एम से 09:02 पी एम
प्रदोष पूजा मुहूर्त – 06:51 पी एम से 09:02 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 12 मिनट्स
रवि प्रदोष पूजा-विधि
स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें।
फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब रवि प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।
मंत्र
ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
रवि प्रदोष उपाय
शिव जी की असीम कृपा पाने के लिए पूजन के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें-
1. घी
2. दही
3. फूल
4. फल
5. अक्षत
6. बेलपत्र
7. धतूरा
8. भांग
9. शहद
10. गंगाजल
11. सफेद चंदन
12. काला तिल
13. कच्चा दूध
14. हरी मूंग दाल
15. शमी का पत्ता