लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के हेलीकॉप्टर की जांच होना चर्चा का मुद्दा बन गया।
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की तलाशी ली गई। वहीं, तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी ने भी इस तरह की जांच की बात कही है।
अब विपक्ष के आरोप हैं कि केंद्र के कहने पर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
अब अगर नियम देखते हैं तो भारत निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों में चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टरों की जांच की बात शामिल है। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी हेलीकॉप्टर की जांच के भी आदेश जारी हो चुके हैं।
चुनाव आयोग के दिशानिर्देश
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के दौरान चुनाव आयोग ने एयरपोर्ट्स और हेलीपैड्स की सुरक्षा करने वाली समेत कई एजेंसियों के साथ बैठक की थी।
उस दौरान नियमों के कड़ाई के साथ पालन के दिशानिर्देश जारी किए गए थे। अब चुनाव आयोग कमर्शियल एयरपोर्ट्स पर उड़ान या लैंडिंग से पहले अनुमति लेना अनिवार्य नहीं करता है।
जबकि, ATC यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी को चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टर की गतिविधियों के बारे में जल्द से जल्द बताना जरूरी है।
इसके अलावा एटीसी को सभी चार्टर्ड विमानों के रिकॉर्ड रखने के भी आदेश दिए गए हैं, जिसमें उड़ान या लैंडिंग और रूट प्लान जैसी कई बातें शामिल हैं।
जांच का अधिकार
खास बात है कि चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों में ऐसे विमानों में सामान की जांच के आदेश शामिल हैं। ये जांच CISF या पुलिस करती है।
अगर तलाशई के दौरान 10 लाख से ज्यादा कैश या एक किलो से ज्यादा सोना पाया जाता है तो आयकर विभाग को सूचित किया जाता है।
नॉन-कमर्शियल का क्या?
नॉन-कमर्शियल हेलीपैड्स और एयरपोर्ट्स पर चुनाव आयोग की तरफ से गठित उड़न दस्ते या पुलिस को पायलट के साथ मिलकर विमान में रखे सामान की जांच की जिम्मेदारी दी जाती है।
हालांकि, इस दौरान किसी महिला के हैंडबैग को छूट मिलती है। चुनाव आयोग के आदेश हैं कि पहले से तय आगमन से पहले उम्मीदवार या राजनीतिक दल को DEO को कम से कम 24 घंटे पहले सूचना देनी होगी।
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, अगर 50 हजार रुपये से ज्यादा की कोई मुद्रा पाई जाती है, तो उसकी जांच हो सकती है और जब्त किया जा सकता है।