इजरायल पर ईरान के हमले से मिडिल-ईस्ट में तनाव काफी बढ़ गया है। आशंका जताई जा रहा है कि इजरायली सरकार भी तेहरान के ऊपर पलटवार कर सकती है।
अगर, ऐसे हुआ तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं। इजरायल की वार कैबिनेट की इस मामले को लेकर बैठक हुई।
इस दौरान कैबिटनेट के अहम सदस्य बेनी गांट्ज ने कहा, ‘हम एक क्षेत्रीय गठबंधन बनाएंगे और ईरान से हमले की कीमत वसूल करेंगे।।’
हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया कि यह कदम सही समय आने पर उठाया जाएगा। दरअसल, ईरान ने शनिवार देर रात इजरायल पर हमला कर दिया और उस पर सैंकड़ों ड्रोन, बैलेस्टिक मिसाइलें और क्रूज मिसाइलें दागीं।
इजरायल ने कहा कि ईरान ने 170 ड्रोन, 30 से अधिक क्रूज मिसाइल और 120 से अधिक बैलेस्टिक मिसाइल दागीं।
इजरायली सेना के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हैगारी ने कहा कि दागी गई 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों में से 99 प्रतिशत को हवा में ही नष्ट कर दिया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायल इस हमले का जवाब देगा, उन्होंने कहा कि इजरायल की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक है, सेना वह करेगी।
हैगारी ने कहा कि कोई भी ड्रोन और क्रूज मिसाइल इजरायल नहीं पहुंच सकी, केवल कुछ बैलेस्टिक मिसाइलें ही पहुंच पाईं।
उन्होंने कहा कि क्रूज मिसाइलों में से 25 को इजरायली वायु सेना ने मार गिराया। हालांकि, रविवार सुबह तक ईरान ने कह दिया कि हमला समाप्त हो गया है और इजरायल ने भी अपने हवाई क्षेत्र को फिर से खोल दिया।
कैसे शुरू हुआ पूरा तनाव, यहां समझें
दरअसल, सीरिया में 1 अप्रैल को हवाई हमला हुआ था। इसमें ईरानी वाणिज्य दूतावास में 2 ईरानी जनरल के मारे जाने के बाद ईरान ने बदला लेने का प्रण लिया।
ईरान ने इस हमले के पीछे इजरायल का हाथ होने का आरोप लगाया। हालांकि, इजरायल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
दोनों देश वर्षों से एक-दूसरे से द्यद्म युद्ध लड़ रहे हैं जिसमें दमिश्क हमले जैसी घटनाएं शामिल हैं। लेकिन, यह पहली बार है जब ईरान ने देश की 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद शुरू हुई दशकों की दुश्मनी के बाद इजरायल पर सीधे तौर पर हमला किया है।
इस बीच, हमास ने ईरान के हमले का स्वागत करते हुए कहा कि सीरिया में हमले की यह स्वाभाविक और उपयुक्त प्रतिक्रिया थी।