प्रवीण नंगिया (ज्योतिष सलाहकार):
मां भगवती की उपासना का महापर्व नवरात्रि की महाअष्टमी व महानवमी के दिन पूजा-पाठ, हवन के साथ कन्या पूजन भी किया जाता है।
मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
यूं तो नवरात्रि के नौ दिनों में से किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है लेकिन अष्टमी व नवमी तिथि को इसका विशेष महत्व है।
इस समय चैत्र नवरात्रि चल रही है। चैत्र नवरात्रि की नवमी पर भगवान श्री राम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन को राम नवमी कहते हैं।
नवरात्रि अष्टमी तिथि- 16 अप्रैल, मंगलवार
मुहूर्त-
- चैत्र, शुक्ल अष्टमी प्रारम्भ – 12:11 पी एम, अप्रैल 15
- चैत्र, शुक्ल अष्टमी समाप्त – 01:23 पी एम, अप्रैल 16
- कन्या पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 07 बजकर 51 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक है। दोपहर – 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 02 बजकर 55 मिनट तक है।
महाष्टमी पूजा-विधि
- इस दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
- मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि नवमी तिथि- 17 अप्रैल, बुधवार
मुहूर्त-
नवमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 16, 2024 को 01:23 पी एम बजे
नवमी तिथि समाप्त – अप्रैल 17, 2024 को 03:14 पी एम बजे
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त – 11:10 ए एम से 01:43 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 33 मिनट्स
राम नवमी मध्याह्न का क्षण – 12:26 पी एम
महानवमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 27 मिनट से लेकर 07 बजकर 51 मिनट तक है। दोपहर का शुभ मुहूर्त – 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 02 बजकर 55 मिनट तक है
राम नवमी पूजा विधि
- इस पावन दिन शुभ जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- घर के मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
- भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें।
- भगवान को फल भी अर्पित करें।
- अगर आप व्रत कर सकते हैं, तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
- इस पावन दिन भगवान राम की आरती भी अवश्य करें।
- आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
- भगवान के नाम का जप करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप श्री राम जय राम जय जय राम या सिया राम जय राम जय जय राम का जप भी कर सकते हैं। राम नाम के जप में कोई विशेष नियम नहीं होता है, आप कहीं भी कभी भी राम नाम का जप कर सकते हैं।
अष्टमी-नवमी के दिन करें कन्या पूजन
- नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी और रामनवमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।
कन्या पूजन करने के लाभ: मान्यता है कि कन्या पूजन करने से मां आदिशक्ति दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। माता रानी की कृपा से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कन्या पूजन में इस बात का रखें ध्यान: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कन्या पूजन के लिए कन्याओं की आयु 2 वर्ष से 10 वर्ष तक होनी चाहिए। 10 वर्ष से ऊपर की कन्या नहीं होनी चाहिए।
कन्या पूजन में नौ कन्याओं का होना अत्यंत शुभ माना गया है। कुंवारी कन्या पूजन में सबसे पहले सभी कन्याओं को यथासंभव नए वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद उन्हें साफ व स्वच्छ आसन में बैठाएं। आसन पर बैठाने के बाद सभी कन्याओं के पैर धोएं और उनके पांव को लाल रंग से रंगे। उसके बाद कन्याओं को टीका लगाएं।
कन्या पूजन से मां अंबे होती हैं प्रसन्न: कन्याओं को अपनी सामर्थ्यनुसार भोजन जरूर कराएं। जिसमें खीर, पूरी, हलवा और अन्य प्रकार की मिठाई का भोग लगाकर उनसे खाने के लिए निवेदन करें।
भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा के रूप में फल और पैसे आदि दें और उनके पांव छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। मान्यता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर करती हैं।