प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
देवाताओं की होली यानी रंग पंचमी का पर्व शनिवार, 30 मार्च को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर होली का पर्व मनाने आते हैं।
हर साल यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण के साथ सभी देवी-देवताओं को अबीर गुलाल लगाये जाने का विधान है।
साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है। आइए जानते हैं रंग पंचमी पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व-
रंग पंचमी पूजा का मुहूर्त
- पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – मार्च 29, 2024 को 08:20 पी एम बजे
- पञ्चमी तिथि समाप्त – मार्च 30, 2024 को 09:13 पी एम बजे
- अभिजित मुहूर्त- 11:46 ए एम से 12:36 पी एम
- विजय मुहूर्त- 02:15 पी एम से 03:04 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त- 06:21 पी एम से 06:45 पी एम
- अमृत काल- 11:02 ए एम से 12:43 पी एम
- राहुकाल- 09:05 ए एम से 10:38 ए एम
रंग पंचमी पूजा-विधि
- पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें
- भगवान श्री कृष्ण समेत सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें
- कृष्ण भगवान का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- देवी-देवताओं को चंदन, धूप, फूल और फल अर्पित करें
- सभी देवी-देवताओं को गुलाल लगाएं
- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- पूरी श्रद्धा के साथ आरती करें
- भोग लगाएं
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
रंग पंचमी का महत्व
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि भगवान कृष्ण ने रंग पंचमी की शुरुआत की थी। रंग पंचमी के रोज भगवान श्रीकृष्ण-राधा रानी के साथ होली खेला करते थे। ऐसी मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन देवी-देवता धरती पर राधा-कृष्ण के साथ होली खेलने आते हैं। वह बताते हैं कि रंग पंचमी पर भगवान कृष्ण के साथ अन्य देवी देवाताओं को गुलाल लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्चा का संचार होता है। सुख समृद्धि बनी रहती है। इस दिन खासकर भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।