मौजूदा समय में BRS तीसरे नंबर पर चली गई है, जबकि 30 नवंबर, 2023 को हुए विधानसभा चुनावों में वह 37.35 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर थी और कांग्रेस 39.40 फीसदी वोट शेयर के साथ पहले स्थान पर आ गई थी।
भाजपा को असेंबली इलेक्शन्स में 13.90 फीसदी वोट ही मिले थे लेकिन जब से KCR की विधायक बेटी के कविता की दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी हुई है, तब से पार्टी की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट देखी गई है।
2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य की कुल 17 सीटों में से 9 पर BRS (उस समय TRS- तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा ने चार, कांग्रेस ने तीन सीटें जीती थीं।
AIMIM चीफ ओवैसी ने अपनी हैदराबाद सीट पर जीत दर्ज कर उसे बरकरार रखा था लेकिन पांच साल बाद यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनावी गणित और समीकरण उलट-पुलट हो चुका है।
मौजूदा समय में तेलंगाना में भाजपा के आधे से अधिक उम्मीदवार बीआरएस से आए हुए हैं और इनमें से अधिकांश ने इसी महीने पाला बदला है।
बता दें कि इसी महीने 15 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को ईडी ने गिरफ्तार किया है। राज्य में 13 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले BRS के नेताओं ने सिर्फ भाजपा का दामन नहीं थामा है।
कई ने कांग्रेस का हाथ भी थामा है। इनमें सबसे बड़ा नाम बीआरएस के चेवेल्ला सांसद रंजीत रेड्डी का है, जिन्हें कांग्रेस ने फिर से उसी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है।
इसी तरह हैदराबाद के खैरताबाद विधानसभा सीट से BRS के विधायक दनम नागेंदर भी दल-बदल करते हुए कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार बन गए हैं।
उन्हें पार्टी ने सिकंदराबाद लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के खिलाफ उतारा है। इतना ही नहीं, विकाराबाद जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीआरएस नेता सुनीता महेंद्र रेड्डी अब मल्काजगिरी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
बीआरएस के पेद्दापल्ली सांसद वेंकटेश नेता कांग्रेस में चले गए हैं और अपनी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। वारंगल के BRS सांसद पसुनुरी दयाकर ने भी लोकसभा टिकट से इनकार किए जाने के बाद पार्टी छोड़ दी है।
बता दें कि 2022 और 2023 के कुछ महीनों तक के चंद्रशेखर राव विपक्षी दलों को एकजुट करने और खुद को CM से PM तक प्रोन्नत करने की मुहिम में जुटे हुए थे। इसी मंशा से उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को भारत राष्ट्र समिति बनाया ताकि उसे राष्ट्रीय स्वरूप और दर्जा देने की कवायद रंग ला सके।
इसके अलावा उन्होंने गैर भाजपायी और गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों से मिलकर एक तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद भी की थी और प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार तीखे हमले बोले थे लेकिन सब बेकार रही।