भारत का विरोध कर बुरे फंसे मुइज्जू, संसद में भाषण भी सुनने को तैयार नहीं विपक्ष…

मालदीव के चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के लिए भारत का विरोध काफी महंगा पड़ रहा है।

उनकी अपनी संसद में ही उन्हें इस स्टैंड पर समर्थन हासिल नहीं हो रहा है। अब उनके संसद में भाषण से पहले मालदीव की दो मुख्य विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार का फैसला कर लिया है।

सोमवार को मालदीव की संसद में राष्ट्रपति के भाषण का मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी और डेमोक्रेट्स पार्टी बायकॉट करेंगी। 

सदन मे सबसे ज्यादा सीटों वाली एमडीपी ने अब तक यह नहीं कहा है कि वह मुइज्जू के अभिभाषण का बहिष्कार करने जा रही है। वहीं डेमोक्रेट्स् ने कहा है कि तीन मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर वह राष्ट्रपति के अभिभाषण में हिस्सा नहीं लेगी।

बता दें कि विपक्षी दलों ने तीन मंत्रियों की नियुक्ति का विरोध किया था। बावजूद इसके सरकार ने तीन सदस्यों को दोबारा मंत्री बना दिया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार को सुबह 9 बजे राष्ट्रपति का भाषण होना है। बता दें कि साल के पहले सत्र से पहले संसद में राष्ट्रपति का भाषण होना है।

इस भाषण में वह देश में विकास कार्य और आगे के प्लान के बारे में बताएंगे। बता दें कि मुइज्जू चीन के घोर समर्थक हैं। वहीं विपक्षी दलों को यह बात पसंद नहीं आती है।

दोनों बड़े विपक्षी दलों ने पहले ही कहा था कि भारत मालदीव का लंबे समय से सहयोगी रहा है और आगे भी रहेगा। दोनों ही दलों में भारत विरोधी रुख को लेकर मुइज्जू को घेरा था। 

विपक्षी दलों ने अपने संयुक्त बयान में कहा था, एमडीपी और डेमोक्रेट्स दोनों का मानना है कि हमें लंबे समय से सहयोगी रहे अपने मित्र देशों से संबंध खऱाब नहीं करने चाहिए।

मालदीव के लोगों की भलाई के लिए हमारे विकास के साथी रहे देशों को लेकर चलना बहुत जरूरी है। देश की हर सरकार को उनसे अच्छे संबंध रखने चाहिए।

मालदीव पारंपरिक तौर पर ऐसा ही करता रहा है। अगर हिंद महासागर में स्थिरता रहेगी तो मालदीव में भी स्थिरता रहेगी और विकास संभव हो पाएगा। 

बता दें कि कुछ दिन पहले ही मालदीव की सरकार ने चीन के शिप को अपने पोर्ट पर आने की अनुमति दे दी है।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुइज्जू के मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।

 वहीं अब मालदीव के विदेश मंत्री ने कहा है कि 10 मई तक भारतीय सेना के जवानों को वापस भेज दिया जाएगा।

पहली टुकड़ी 10 मार्च को ही वापस आएगी। दिल्ली में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद इस बात पर सहमति बनी है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap