विश्व हिंदू परिषद (विहिप) नेता शरद शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन 1947 में देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन से भी बड़ा था।
विहिप नेता ने कहा कि इस आंदोलन के लिए लाखों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि भगवान रामलला के मंदिर के निर्माण को अंतिम रूप देने में लगभग 500 साल लग गए।
उन्होंने कहा, “राम मंदिर आंदोलन स्वतंत्रता आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन था। क्योंकि यह एक धार्मिक आंदोलन था जिसमें धर्म, संस्कृति और इतिहास से जुड़े लोगों ने भाग लिया और इसे मुकाम तक पहुंचाया। लाखों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। इसमें 500 साल लग गए।
इसलिए इससे यह माना जा सकता है कि यह 1947 से भी बड़ा आंदोलन था।” उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में होने वाले भगवान राम लला के प्रतिष्ठा समारोह के लिए कुल 7,000 निमंत्रण कार्ड भेजे जा रहे हैं।
गौरतलब है कि अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में ‘रामलला’ की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को की जाएगी। इसे लेकर जोरदार तैयारियां की जा रही हैं। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की अनेक जानी-मानी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है।
विहिप नेता ने कहा, ”देश के करीब चार हजार संतों और तीन हजार अन्य लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है।”
प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण कार्ड पर उन्होंने कहा, “इसके पहले पन्ने पर भगवान रामलला की तस्वीर है। साथ ही, कार्यक्रम की विभिन्न तिथियों और विवरणों का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा, हम उन लोगों पर एक पुस्तिका प्रदान कर रहे हैं जिन्होंने 1949 से राम मंदिर आंदोलन में भूमिका निभाई थी। (यह) वर्तमान पीढ़ी के लिए है, ताकि वे उन दिग्गजों के बारे में जान सकें जो आंदोलन का हिस्सा थे।”
ज्ञात हो कि उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने के आदेश दिये थे।
इसके निर्माण के लिये श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया था।