महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सीट बंटवारे पर रार ठनती जा रही है।
शिवसेना ने हाल ही में कुल 23 सीटों पर दावा ठोका था और कहा था कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में जीरो से शुरुआत करनी होगी। इसके बाद कांग्रेस की बारी आई।
देश की सबसे पुरानी पार्टी ने महाराष्ट्र की 22 सीटों पर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्य के शीर्ष नेताओं के बीच एक बैठक के बाद 48 लोकसभा सीटों में से 22 पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई है। यह बैठक शुक्रवार को आयोजित की गई थी।
बैठक में महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं ने खड़गे के साथ राज्य के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की और उन्हें पार्टी के लिए गढ़ मानी जा रही सीटों पर एक रिपोर्ट दी।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में राज्य की 30 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।
इसके अलावा सूत्रों ने कहा कि शीर्ष नेताओं में से एक ने यह सुझाव दिया कि पार्टी को कम से कम 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जहां उसके जीतने की अच्छी संभावना है।
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुकाबिक, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि एनसीपी के शरद पवार गुट और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ सीट बंटवारे के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
कहा जाता है कि कांग्रेस नेताओं ने खड़गे को बताया है कि एनसीपी में अजित पवार के विद्रोह और एकनाथ शिंदे के कारण शिवसेना में हुए विभाजन के बाद किसी भी सहयोगी दल के पास अपना पारंपरिक चुनाव चिन्ह पर नियंत्रण नहीं है।
सिर्फ कांग्रेस के पास ही अपने चुनाव चिन्ह पर पूरा कंट्रोल है। सूत्रों का कहना है कि खड़गे और राज्य के नेता प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति के आधार पर सहयोगियों के साथ कुछ सीटों के आदान-प्रदान की संभावना पर विचार कर रहे हैं।
बताया जाता है कि नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी नेता संजय राउत द्वारा सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने पर भी नाराजगी व्यक्त की है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव सीट-बंटवारे में 23 सीटें चाहती है।
इस बीच खड़गे ने महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं को गठबंधन या सीट बंटवारे के बारे में ऐसा कोई बयान नहीं देने की सलाह दी है।
सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर फैसला लेने के लिए कांग्रेस आलाकमान अगले हफ्ते शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी के शरद पवार गुट से मिलने वाला है।
2019 के आम चुनावों में कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ एक सीट जीती थी। एनसीपी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार पर जीत हासिल की थी। वहीं, शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन में थी, उसने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 पर जीत हासिल की थी।