गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान की इकॉनमी अब दिवालिया होने की कगार पर है। पाकिस्तान आए दिनों भीख का कटोरा लेकर अपने दोस्त मुल्कों से भीख मांगने चला जाता है।
रहम खाकर चीन, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों ने पाकिस्तान में निवेश करने की हामी भरी, मगर प्रोजेक्ट्स की अस्थिरता के कारण अब कोई भी वहां निवेश करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
अपने हर मौसत दोस्त चीन की दोस्ती पर गुमान करने वाले पाकिस्तान को चीन ठेंगा दिखा चुका है, उसी की राह पर चलते हुए अब सऊदी अरब की कंपनी अरामको भी पाकिस्तान में रिफाइनरी निवेश को लेकर 10 अरब डॉलर की डील से हाथ पीछे खींच सकता है।
पाकिस्तानी मीडिया की मानें तो सऊदी अरब की कंपनी अब इस प्रोजेक्ट में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। प्रोजेक्ट में निवेश के लिए सऊदी अरब की कंपनी अरामको को लुभाने के लिए पाकिस्तान एंड़ी-चोटी का जोर लगा रहा मगर कंपनी की मैनेजमेंट अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहे हैं।
पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब की कंपनी का रवैया चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि पाकिस्तानी सरकार ने एक नई ग्रीन रिफाइनरी नीति के बारे में 25 सालों के लिए 7.5% डीम्ड ड्यूटी और 20 सालों का प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट की मानें तो सऊदी अरब की कंपनी इस डील को ठंडे बस्ते में डाल देगी। जिसके कारण पाकिस्तान को सिर्फ मायूसी ही हाथ लगेगी।
अरामको ने खींचा हाथ?
द न्यूज ने सऊदी अरब की कंपनी अरामको के हवाले से लिखा, “सऊदी अरामको के शीर्ष पदाधिकारियों ने पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ हालिया बातचीत में संकेत दिया है कि अरामको ने खुद को सऊदी सरकार से अलग कर लिया है और काफी हद तक विनियमन हासिल कर लिया है।
यही कारण है कि इसका प्रबंधन अब दुनिया भर में रिफाइनरी व्यवसाय में निवेश करने का इच्छुक नहीं है। इसमें कहा गया है कि रिफाइनरी व्यवसाय अब पहले जैसा आकर्षक नहीं रह गया है।”
चीन भी दिखा चुका है औकात
अरामकों के पदाधिकारियों की दलीलों से साफ समझा जा सकता है कि कंपनी अब पाकिस्तान में रिफाइनरी निवेश को लेकर सकारात्मकता के मूड में नहीं है।
इसी तरह चीन ने भी पाकिस्तान के साथ अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सीपीईसी के हाथ खींच चुका है। चीन अब इस प्रोजेक्ट के तहत और निवेश नहीं करना चाहता, पाकिस्तान के लाख मनाने के बावजूद भी चीन ने अपने हाथ पूरी तरह से इस प्रोजेक्ट से खींच लिए हैं।