एक देश एक चुनाव को लेकर विधि आयोग की तैयारियों का दौर जारी है।
खबर है कि इसी बीच भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI ने नई व्यवस्था को लागू करने में एक साल के समय की मांग की है।
आयोग ने पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को बनाने जैसी कई वजहें गिनाई हैं। फिलहाल, विधि आयोग अपनी रिपोर्ट बनाने के अंतिम दौर में है।
कितनी मशीनों की होगी जरूरत
2024 और 2029 में एक साथ चुनाव कराए जाने की स्थिति में मशीनों की संख्या को लेकर चुनाव आयोग पहले ही विधि आयोग को जानकारी दे चुका है।
एक वोटिंग मशीन में तीन हिस्से होते हैं, जिनमें कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट शामिल है। 2024 के लिए 11.49 लाख अतिरिक्त कंट्रोल यूनिट, 15.97 लाख बैलेट यूनिट्स और 12.37 लाख वीवीपैट की जरूरत होगी। इसमें 5200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
2029 में ECI को 53.76 लाख बैलेट यूनिट्स, 38.67 लाख कंट्रोल यूनिट्स और 41.65 लाख वीवीपैट की जरूरत होगी। इसकी बड़ी वजह पोलिंग स्टेशन और मतदाताओं की बढ़ती संख्या है।
किस चिंता में है चुनाव आयोग
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर और चिप की कमी को लेकर चिंतित है।
कहा जा रहा कि विधि आयोग के साथ हुई बैठक में भी ECI यह मुद्दा उठा चुका है। दरअसल, EVM और VVPAT यानी वेरिफाइएबल, पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों में इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल होता है।
अब खास बात है कि 2024 में होने वाले सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए ही EC को करीब 4 लाख मशीनों की जरूरत है। मशीनों की इन मौजूदा जरूरत में विधानसभा चुनावों को तो शामिल ही नहीं किया गया है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी की अगुवाई में विधि आयोग काम कर रहा है। संभावाएं जताई जा रही हैं कि आयोग संसदीय और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के विचार का समर्थन कर सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एक सूत्र ने बताया, ‘उन्हें (EC) को लगता है कि मौजूदा उत्पादक (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) की मौजूदा प्रतिबद्धताओं को देखते हुए वोटिंग मशीनों के निर्माण को बढ़ाने के लिए एक साल के समय की जरूरत होगी।
साथ ही कोविड-19 महामारी के आने और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते हुए सेमीकंडक्टर की कमी ने EVM हासिल करने की प्रक्रिया को पहले ही प्रभावित किया है।’
इससे पहले भी चुनाव आयोग संसद की स्थाई समिति के सामने सेमीकंडक्टर की कमी का जिक्र कर चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, ECI मशीनों को उत्पादन को बढ़ाने में निजी उत्पादकों के साथ जाने के खिलाफ है।
कहा जा रहा है कि आयोग को इस बात का डर है कि जनता के विश्वास और चुनाव की प्रक्रिया की विश्वसनीयता खासी प्रभावित होगी।