मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच की खटपट का असर फौरी तौर पर भले ही नहीं नजर आ रहा हो लेकिन दूरगामी परिणामों से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इसके संकेत गुरुवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान से मिले। एमपी में एक भी सीट नहीं दिए जाने से नाराज अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस के साथ भी यूपी में वैसा ही सलूक किया जा सकता है।
जाहिर है यदि कांग्रेस खुद को एमपी में मजबूत समझ सपा को सीटें देने से परहेज कर रही है तो लोकसभा चुनावों में यही रवैया सपा की ओर से भी अपनाया जा सकता है।
सीतापुर में संवाददाताओं से बातचीत में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की कांग्रेस के रुख पर तल्खी साफ नजर आई। अखिलेश ने कहा कि यदि उन्हें पता होता कि ‘इंडिया’ गठबंधन बस राष्ट्रीय स्तर के लिए है तो सपा के नेता मध्य प्रदेश की बैठक में शामिल नहीं होते।
हमारे नेताओं ने एमपी में गठबंधन को लेकर बैठक के लिए कांग्रेस का फोन नहीं उठाया होता। यदि INDIA गठबंधन केवल संसदीय चुनाव के लिए है तो कोई बात नहीं लेकिन जब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए UP में सीटों के बंटवारे पर बातचीत होगी तो कांग्रेस के लिए मुश्किल जरूर होगी।
ऐसे में जब लोकसभा चुनावों में कई महीने समय का समय शेष है सपा प्रमुख की इस टिप्पणी से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में दरार साफ नजर आने लगी है।
सपा प्रमुख ने कहा- यदि उत्तर प्रदेश में गठबंधन केवल केंद्र के लिए होगा तो इस पर उस वक्त चर्चा की जाएगी। मौजूदा वक्त में सपा के साथ जो बर्ताव किया गया है उन्हें यहां भी वैसा ही बर्ताव दिखेगा।
यदि पहले पता होता कि मध्य प्रदेश में विधानसभा स्तर पर कोई गठबंधन नहीं होगा तो सपा नेता बैठकों में नहीं जाते। सपा एमपी में किन सीटों पर लड़ना चाहती है हमने उन्हें सूची नहीं दी होती, ना उनका फोन उठाते।
अखिलेश यादव ने माना कि कांग्रेस नेताओं के साथ सपा नेताओं की रात एक बजे तक बैठक चली थी। उनकी पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस को मध्य प्रदेश के पिछले चुनावों में सपा के प्रदर्शन से संबंधित ब्योरा सौंपा था।
अखिलेश यादव ने यह भी खुलासा किया कि कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि वे मध्य प्रदेश में सपा को छह सीटें देने पर विचार कर रहे हैं लेकिन जब लिस्ट आई तो सपा को जीरो दिया गया था। यदि मुझे पता होता कि कांग्रेस के लोग धोखा देंगे तो मैं उनकी बात पर भरोसा नहीं करता।
दरअसल, सपा ने एमपी में अपने दो और उम्मीदवारों के नाम घोषित किए। एमपी में सपा अब तक 33 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। जब अखिलेश से पूछा गया कि सपा ने ऐसा क्यों किया, तब उन्होंने कहा- जब मध्य प्रदेश में कोई गठबंधन नहीं है तो हम उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं।
इसमें गलत क्या है? वैसे अखिलेश की एमपी में कांग्रेस से छह सीटों की अपेक्षा वाजिब है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में सपा ने एक सीट जीती थी और पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। सपा ने तब आदिवासी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया था।
दरअसल, अखिलेश से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अखिलेश ने कहा कि यूपी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कोई हैसियत नहीं है।
वह ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठकों में भी नहीं थे। उन्हें ‘इंडिया’ गठबंधन के बारे में कुछ नहीं पता। अजय राय पूछियेगा कि रात को एक बजे तक क्यों उनके पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने हमारे लोगों को क्यों बैठाया। इसका मतलब यह कि आप दूसरे दलों को बेवकूफ बना रहे हैं। ये लोग भाजपा से मिले हुए हैं।
अखिलेश के बयान से साफ है कि कांग्रेस का यह रुख लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन को लेकर की जा रही पहलकदमियों और बैठकों में गिनाया जाएगा।
साथ ही सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर भी समस्या आएगी। भले ही कांग्रेस को लगता है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एकला चलो का उसका फैसला फायदेमंद है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अखिलेश की बात से साफ है कि कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में अकेले उतरने के संबंध में कम से कम INDIA अलायंस के सहयोगियों को विश्वास में जरूर लेना चाहिए था।