पाकिस्तान ने अपनी प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करने के लिए अबाबील वेपन सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
सेना ने बुधवार को यह जानकारी दी। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (ISPR) ने इसे लेकर बयान जारी किया।
इसके अनुसार, यह परीक्षण हथियार प्रणाली के डिजाइन, तकनीकी मापदंडों और प्रदर्शन को फिर से परखने के लिए किया गया था।
बयान में कहा गया कि मिसाइल सिस्टम का उद्देश्य प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता को बढ़ाना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अबाबील मिसाइल की अधिकतम रेंज 2200 किलोमीटर (1400 मील) बताई जा रही है। इस तरह इतनी अधिक क्षमता वाली पाकिस्तान की यह पहली मिसाइल होगी।
अबाबील 1500 किलोग्राम (3307 पाउंड) वजनी हथियार लेकर जाने में सक्षम है। इसमें 500 किलोग्राम (1102.3 पाउंड) के तीन मानक हथियार या 300 किलोग्राम (661.4 पाउंड) के 5 या 185 किलोग्राम (408 पाउंड) वजन के 8 अधिकतम हथियार शामिल हैं।
केआरएल की ओर से अबाबील मिसाइल को विकसित किया गया है। इसी ने पहले तरल ईंधन से ऑपरेट होने वाली गौरी मिसाइल सिस्टम डेवलप की थी।
भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से टक्कर
अबाबील वेपन सिस्टम का उद्देश्य भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों को टक्कर देना बताया जा रहा है। इसका इस्तेमाल भारत के परमाणु शस्त्रागार को इस्तेमाल करने से पहले नष्ट करने के लिए जवाबी हमले में भी हो सकता है।
अगर अबाबील मिसाइल की लंबाई की बात करें तो यह 21.5 मीटर है जिसका व्यास 1.7 मीटर है। यह पारंपरिक और परमाणु हथियार दोनों ही लेकर जाने की क्षमता रखती है।
यहां यह बात भी ध्यान देने लायक है कि पाकिस्तानी सेना की ओर से मिसाइल प्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है।
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने उपलब्धि पर दी बधाई
ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, रणनीतिक संगठनों के सीनियर अधिकारी, वैज्ञानिक और इंजीनियर परीक्षण के मौके पर मौजूद थे।
जनरल मिर्जा ने सफल परीक्षण में योगदान देने वाले सभी लोगों के तकनीकी कौशल, समर्पण और प्रतिबद्धता की सराहना की। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकड़ ने रणनीतिक बलों के सभी सदस्यों को इस उपलब्धि पर बधाई दी।
बता दें कि पाकिस्तान ने 2021 में स्वदेशी रूप से विकसित ‘फतह-1 गाइडेड मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इस रॉकेट प्रणाली की मारक क्षमता 140 किलोमीटर है।