भारत से तनाव के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो नई मुसीबत में घिरते नजर आ रह हैं।
कनाडा में विपक्ष के नेता पियर पोलिवर ने कहा है कि यहूदियों की हत्या करने वाले नाजियों का साथ देने वालों को सदन में स्वागत करके उन्होंने बड़ी गलती की है और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
बता दें कि कनाडा के प्रधानंत्री ट्रूडो ने हिटलर की नाजी सेना की एक डिवीजन के सैनिक रहे यरोस्लाव हुंका से मुलाकात की थी और उनका स्वागत किया था। अब ट्रूडो के विरोधी इस मामले को लेकर उन्हें घेर रहे हैं।
पियरे ने कहा, यह जस्टिन ट्रूडो की तरफ से की गई व्यक्तिगत बड़ी गलती है क्योंकि उनके ऑफिस ने ही सभी मेहमानों का नाम सिलेक्ट किया था और उन्हें आमंत्रित किया था।
उनका कहना है कि जब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की हाउस ऑफ कॉमन्स में आए थे तो उसी वक्त कई लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें नाजी सेना में रह चुके योरोस्लाव हंक भी शामिल थे।
उन्होंने कहा, जस्टिन ट्रूडो के अलावा किसी को भी यारोस्लाव के पूर्व जीवन के बारे में पता नहीं था। किसी को इस बारे में बताया भी नहीं गया। हाउस ऑफ कॉमन्स में उनका स्वागत कि गया और तालियां बजवाई गईं। लेकिन उनके काले इतिहास के बारे में सच छिपा लिया गया। अब ट्रूडो को दूसरों पर इल्जाम लगाना छोड़कर खुद माफी मांगनी चाहिए।
कनाडा के एनजीओ फ्रेंड्स ऑफ साइमन वेसेंथल सेंटर ने भी कनाडा के प्रधानमंत्री से कहा है कि वह अपनी गलती को लेकर माफी मांगें। एनजीओ की तरफ से कहा या, FSWC इस बात का कड़ा विरोध करता है कि कनाडा की संसद में एक ऐसे शख्स के लिए तालियां बजाई गईं जो कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी सेना के साथ था। क्या सारे लोग यहूदियों की सामूहिक हत्या और होलोकास्ट को भूल गए हैं?
स्पीकर ने मांगी माफी
22 सितंबर को वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कनाडा की संसद में भाषण दिया था। उसी समय 98 साल के यारोस्लाव हुंका को सम्मानित किया गया। स्पीकर एंथनी ने उन्हें वॉर हीरो बताया था। बाद में पता चला कि वह हिटल की फौज में भी रह चुके हैं। स्पीकर रोटा ने हुंका का सम्मान करवाए जाने को लेकर माफी मांगी। उन्होंने कहा, मुझे अपने फैसले पर अफसोस है। कनाडा के सांसदों को यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी।
बता दें कि जस्टिन ट्रूडो का विवादों से गहरा नाता है। वहीं इन दिनों बिना किसी सबूत के ही भारत पर निज्जर की हत्या का बेतुका और बेबुनियाद आरोप लगाकर वह अपने भी देश में घिरे हुए हैं। भारत ने जिस तरह से कड़ी प्रतिक्रिया दी है उसकी जस्टिन ट्रूडो को भी उम्मीद नहीं रही होगी। कनाडा ने भारतीय राजनयिक को पहले निष्कासित किया था। इसके बाद भारत ने भी उसके राजनयिक को बाहर का रास्ता दिखा दिया और साथ ही वीजा सेवाएं भी स्थगित कर दीं।