रूस के साथ बेहद अच्छे संबंध रखने वाला तुर्की अब खुले तौर पर यूक्रेन की नाटो सदस्यता के समर्थन में आ गया है।
खुद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इसका समर्थन करते हुए कहा है कि यूक्रेन सही मायनों में नाटो सदस्यता का हकदार है।
एर्दोगन ने अपने यूक्रेनी समकक्ष वलोदिमिर जेलेंस्की के साथ मुलाकात के बाद कहा कि तुर्की यूक्रेन की नाटो सदस्यता संबंधी आकांक्षाओं का समर्थन करता है। जेलेंस्की ने एर्दोगन को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
हालांकि, एर्दोगन ने युद्ध को समाप्त करने के लिए “शांति प्रयासों की ओर लौटने” का भी आग्रह किया। यूक्रेन युद्ध को 500 दिन पूरे हो चुके हैं और अब तर हजारों की संख्या में लोग मारे गए हैं।
एर्दोगन ने शनिवार तड़के इस्तांबुल में यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्षों को शांति वार्ता पर वापस जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूक्रेन नाटो की सदस्यता का हकदार है।” रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार, तुर्की के नेता ने कहा, “निष्पक्ष से आई शांति से कोई हारता नहीं है।”
शुरू हो रहा है प्रमुख नाटो शिखर सम्मेलन
तुर्की का यूक्रेन को समर्थन लिथुआनिया के विनियस में मंगलवार से शुरू होने वाले प्रमुख नाटो शिखर सम्मेलन से पहले आया है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने एर्दोगन के साथ अपनी बातचीत के बारे में एक ट्वीट में लिखा, “तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मुलाकात हुई। बहुत महत्वपूर्ण वार्ता रही। हमारे ब्लैक सी क्षेत्र और सामान्य रूप से यूरोप दोनों के लिए सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। मैं यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के समर्थन के लिए आभारी हूं। शांति समझौता हमारे देशों, हमारे लोगों और हमारे हितों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।”
यूक्रेनी राष्ट्रपति अपने संकटग्रस्त देश को पश्चिमी सैन्य गठबंधन (नाटो) में शामिल कराने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में यूक्रेन की एंट्री को लेकर इसके आगामी शिखर सम्मेलन में चर्चा की जाएगी।
जेलेंस्की चाहते हैं कि उसे नाटो में सामिल होने का निमंत्रण मिले और इसके लिए वे गहन पैरवी की है। उनका तर्क है कि यूक्रेन रूस की आक्रामकता के खिलाफ यूरोप की आखिरी डिफेंस लाइन बन गया है।
एर्दोगन की ‘गद्दारी’ पर भड़केंगे पुतिन?
तुर्की का यूक्रेन को नाटो सदस्यता के लिए समर्थन करना पुतिन को रास नहीं आएगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के बीच अच्छे संबंध हैं।
यहां तक कि पुतिन समय-समय पर एर्दोगन को युद्ध से जुड़े अपडेट देते रहते हैं। यही नहीं, तुर्की कई मौकों पर यूक्रेन और रूस के बीच शांति समझौते के भी प्रयास कर चुका है।
पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। लेकिन तुर्की केवल उन्हीं प्रतिबंधों को मानता है जिनको संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अप्रूव किया है।
दरअसल तुर्की को ब्लैक सी (काला सागर) के प्रवेश द्वार का संरक्षक माना जाता है। तुर्की ने युद्ध शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर सैन्य जहाजों के लिए अपने रास्ते बंद कर दिए थे।
इस रास्ते से काफी व्यापार होता है। लेकिन एर्दोगन ने पुतिन के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा और केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अप्रूव प्रतिबंधों का पालन करने की तुर्की की नीति को ध्यान में रखते हुए, रूस के साथ आर्थिक संबंध बनाए रखे।
ये देश भी कर चुके हैं यूक्रेन का समर्थन
नाटो गठबंधन का 11-12 जुलाई को शिखर सम्मेलन होना है। इससे पहले, जेलेंस्की ने तुर्की के अलावा, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और बुल्गारिया का दौरा किया था। वे यूक्रेन की नाटो सदस्यता के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। बता दें कि नाटो की सदस्यता के लिए किसी भी देश को इसके सभी सदस्यों का समर्थन चाहिए होता। अगर एक भी सदस्य इनकार करता है तो उसे नाटो की सदस्यता से वंचित कर दिया जाता है। चेक गणराज्य ने भी यूक्रेन का समर्थन करते हुए कहा है कि “युद्ध खत्म होते ही” यूक्रेन को नाटो में शामिल किया जाए। इसके अलावा, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने भी पुष्टि करते हुए कहा है कि यूक्रेन सदस्य बनेगा।