महाराष्ट्र की एकनाथ सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और एनसीपी को तोड़ने वाले अजित पवार को दो दिनों के अंदर डबल झटका लगा है।
शपथ ग्रहण के दिन ही शपथ समारोह में कथित तौर पर मौजूद रहने वाले एनसीपी सांसद के शरद पवार खेमे में लौटने के बाद अगले दिन दो विधायक भी अजित पवार को छोड़कर शरद पवार के कैम्प में लौट आए हैं।
इन विधायकों में सतारा एमएलए मकरंद पाटिल और उत्तरी कराड विधायक बालासाहेब पाटिल हैं। जूनियर पवार के खेमे में एनसीपी के 40 विधायक होने का दावा किया गया था।
इधर, एनसीपी के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों ने एक-दूसरे के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की है और दूसरे पक्ष के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष क्रॉस-याचिकाएं दायर की हैं।
बता दें कि अजित पवार के शपथ के दौरान राजभवन में मौजूद शिरूर के सांसद अमोल कोल्हे ने भी सोमवार को कहा था कि वह शरद पवार के समूह में वापस जा रहे हैं।
इसबीच, शरद पवार ने अपने भतीजे के समूह के खिलाफ पहली कठोर कार्रवाई में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रहे राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल और लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है।
इसके जवाबी कदम के तौर पर अजित पवार गुट ने एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जयंत पाटिल की जगह तटकरे को नियुक्त किया है। तटकरे की बेटी ने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली थी।
शरद पवार समूह ने विधानसभा अध्यक्ष को दो याचिकाएं भेजकर अजित और उनके साथ शपथ लेने वाले आठ अन्य एनसीपी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
दूसरी तरफ, जवाबी कार्रवाई में अजित के नेतृत्व वाले गुट ने विधानसभा अध्यक्ष से जयंत पाटिल और विधानसभा में विपक्ष के नेता नियुक्त किए गए जितेंद्र अवहाज को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने अजीत पवार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था और छगन भुजबल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर आए थे, जिसमें शिंदे-फडणवीस सरकार के साथ गठबंधन करने की वजहें बताई गईं थीं।
पार्टी में टूट और भतीजे के विद्रोह पर रविवार को अपनी पहली प्रतिक्रिया में पवार ने पटेल और तटकरे की आलोचना की थी और कहा था कि उन्होंने उन्हें पार्टी के प्रमुख पदों पर नियुक्त किया था लेकिन दिशानिर्देशों का पालन करने के बजाय, उन्होंने उन्हें ही छोड़ दिया।