‘UP में हो रही हैं गैर न्यायिक हत्याएं’, ‘अतीक-अशरफ की हत्या में सरकार का हाथ…

साबरमती जेल से अतीक और बरेली जेल से अशरफ को लाकर प्रयागराज पुलिस पूछताछ कर रही थी। इसी दौरान 15 अप्रैल की रात 10:35 बजे कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में माफिया बंधुओं की तीन शूटरों ने हत्या कर दी। तीनों शूटर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य पत्रकार के वेश में कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में पहुंचे थे। अब इस हत्याकांड को लेकर बहन आयशा नूरी ने सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि दोनों भाइयों के साथ-साथ भतीजे असद अहमद के एनकाउंटर की भी स्वतंत्र जांच कराई जाए।

बताया हिरासत में एक्स्ट्रा जूडिशियल किलिंग

आयशा नूरी ने एडवोकेट सोमेश चंद्र झा और अमार्त्य आशीष शरण के माध्यम से सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में आयशा ने दोनों भाई की हत्या को हिरासत में और एक्स्ट्रा जूडिशियल किलिंग करार दिया। याचिका में कहा गया है कि उच्चस्तरीय सरकारी एजेंटों के माध्यम से इस पूरी घटना की प्लानिंग की गई। उन्होंने उसके परिवार के सदस्यों को मारने के लिए योजना बनाई और उसे पूरा किया। पुलिस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रतिशोध के तहत उसके परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने के लिए उन्हें पूरी छूट दी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है।

हत्या पर पहले ही संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतीक और अशरफ की हत्या का संज्ञान लिया है। राज्य सरकार से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि अस्पताल ले जाते समय उन्हें मीडिया के सामने क्यों लाया गया था। इसके कारण दोनों को लाइव टेलीविजन पर मार दिया गया। अदालत ने अतीक अहमद, उसके भाई दानिश अजीम उर्फ अशरफ् और पिछले पांच वर्षों में यूपी में हुई 183 पुलिस एनकाउंटर में मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर आदेश जारी किया। वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था।

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