ओडिशा में महज 10 महीने और 1 साल की उम्र वाले दो बच्चे जगन्नाथ मंदिर के सेवकों में शामिल हो गए हैं। इतना ही नहीं दोनों बच्चों को हार साल क्रमश: 1 लाख रुपये और 2 लाख रुपये मेहनताना भी मिलेगा।
अब खास बात है कि भले ही रथ यात्रा से महज 15 दिन पहले ही बच्चों को मंदिर व्यवस्था में शामिल किया गया है, लेकिन वे 18 साल की आयु के बाद ही मंदिर में सेवाएं दे सकेंगे।
10 माह के बालदेव दशमोहपात्रा, 1 साल के एकांशु दशमोहापात्रा को बुधवार को औपचारिक रूप से पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का सेवक बना दिया गया है।
इन दो बच्चों के अलावा 1 साल के एक और बच्चे का नाम भी इस सूची में शामिल हुआ है। ये बच्चे रथ यात्रा के दौरान सबसे अहम रस्में निभाने वाले सेवकों दैतापति निजोग से आते हैं।
बच्चों को मंदिर के अनासार घर में आयोजित एक समारोह में मंदिर का सेवक बनाया गया है। दरअसल, इसी कमरे में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ दैतापति सेवक ने बताया, ‘परंपरा है कि जब भी दैतापति के परिवार में बेटे का जन्म होता है, तो उसे 15 दिनों की अनासार अवधि के दौरान भगवान की सेवा में शामिल किया जाता है।
अनासार के समय 21 दिनों से ज्यादा आयु वाले बच्चे हमारे समुदाय में शामिल होने के लिए योग्य हो जाते हैं।’ जानकारी देने वाले जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी हैं।