राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में फूट की अटकलों के बीच अजित पवार ने अपना मत साफ कर दिया है। उनका कहना है कि जिंदा रहते वह एनसीपी के साथ ही रहेंगे।
इस सियासी घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी की भी भूमिका मानी जा रही थी, लेकिन सवाल है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ सरकार चला रही पार्टी को राज्य में नए साथी की जरूरत क्यों पड़ गई?
खास बात है कि अयोग्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसला का इंतजार महाराष्ट्र की राजनीति को है।
अब एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भाजपा एकनाथ और उनके विधायकों के खिलाफ फैसला आने की स्थिति को लेकर अपनी तैयारी कर रही है। ऐसे में उन्हें राज्य में सरकार बनाने के लिए एक और मजबूत साथी की जरूरत होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, अजित के करीबी एक एनसीपी नेता का कहना है कि शिंदे की अगुवाई में सरकार का प्रदर्शन अच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के मुद्दों पर फेल हो गई है और न ही राज्य के लोगों के लिए कोई सकारात्मक फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि 2024 आम चुनाव को देखते हुए भाजपा का राज्य में अधिकतम सीटें जीतना मुश्किल हो जाएगा।
एनसीपी नेता का कहना है कि ऐसे में भाजपा एक और साथी तलाश रही है। हालांकि, अजित के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच शरद पवार ने कहा था, ‘सभी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। अजित पवार ने विधायकों की कोई बैठक नहीं बुलाई है। ये सब बातें सिर्फ मीडिया में हैं।’
एनसीपी आई तो सरकार छोड़ देंगे शिंदे
हाल ही में शिवसेना विधायक संजय शिरसाट ने यह दावा किया है कि अगर अजित भाजपा के साथ आते हैं, तो शिवसेना सरकार छोड़ देगी। उन्होंने कहा, ‘अगर अजित पवार शिवसेना और भाजपा की विचारधारा स्वीकार कर लेते, तो हम उनका स्वागत करते। लेकिन अगर वह एनसीपी या एक धड़े के साथ भाजपा में शामिल होते, तो यह गलत होता और हम सरकार छोड़ देते।’