अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की बेंच का नेतृत्व करने वाले भारत के पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) को रिटायर होने के चार महीने बाद 19 मार्च, 2020 को राज्यसभा के लिए नामित किया गया था।
उस समय विपक्ष ने उन पर निशाना साधा था। जब गोगोई राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ले रहे थे, तब विपक्षी सदस्यों ने ‘शर्म करो’ के नारों के साथ राज्यसभा में हंगामा किया था।
उस समय उनको राज्यसभा का मेंबर बनाए जाने के फैसले की सुप्रीम कोर्ट के कुछ पूर्व जजों ने भी आलोचना की थी। बहरहाल राज्यसभा के आधिकारिक पोर्टल के मुताबिक सदस्य को तौर पर गोगोई का ट्रैक रिकॉर्ड कुछ खास नहीं है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा के आधिकारिक पोर्टल पर रंजन गोगोई के संसदीय ट्रैक रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्होंने अब तक कोई भी सवाल नहीं पूछा है।
गोगोई ने कोई प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश नहीं किया है। पोर्टल पर राज्यसभा की कार्यवाही में सांसदों की हिस्सेदारी के खंड में भी उनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है।
इस जगह पर सांसदों के ऑडियो और वीडियो क्लिप देखी जा सकती है। राज्यसभा के पोर्टल पर ये भी कहा गया है कि रंजन गोगोई विदेश मामलों पर संसदीय स्थाई समिति के सदस्य हैं।
जबकि पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक राज्यसभा में रंजन गोगोई की उपस्थिति महज 30 फीसदी है।
बहरहाल इस मामले में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि संसद में उपस्थिति एक अटेंडेंस रजिस्टर के जरिये दर्ज की जाती है, जिस पर सांसद को दस्तखत करना होता है।
इसलिए एक सांसद किसी भी दिन रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए बिना भी सत्र में हिस्सा ले सकता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अब्दुल नजीर (Abdul Nazeer) को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने की कांग्रेस सहित विपक्ष ने तीखी आलोचना की है।
विपक्ष का कहना है कि ऐसी नियुक्तियां न्यायपालिका की आजादी के लिए एक बड़ा खतरा हैं और उसमें एक बड़ी कमजोरी पैदा कर सकती है।
जस्टिस अब्दुल नजीर भी अयोध्या के मामले में फैसला सुनाने वाली पांच जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे।