समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
मुरादाबाद की एक विशेष अदालत ने सोमवार को 15 साल पुराने मामले में आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई है, जबकि मामले में सात लोगों को दोषमुक्त कर दिया।
जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) नितिन गुप्ता ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस से हुए विवाद में आजम खान समेत नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एक मामले में यहां की सांसद/विधायक अदालत की न्यायाधीश स्मिता गोस्वामी ने सोमवार को आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला को दो-दो साल की सजा और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल बिश्नोई ने बताया कि 2008 छजलैट प्रकरण में सांसद / विधायक अदालत ने अपने फैसले में धारा 341 में एक महीना सजा और 300 रुपये का जुर्माना, धारा 353 में दो साल की सजा और दो हजार रुपये जुर्माना जबकि आपराधिक कानून (संशोधन)अधिनियम की धारा-7 में छह महीने की सजा और 500 रुपये का जुर्माना लगाया है।
ये सभी सजा एक साथ चलेंगी। वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ता शाहनवाज हुसैन ने बताया कि अदालत में जमानत की अर्जी दी गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने आजम खान और अब्दुल्ला आजम को जमानत दे दी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 31 दिसंबर 2007 की रात उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के शिविर पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने लगातार वाहनों की गहन तलाशी अभियान चलाया था।
इसी क्रम में 29 जनवरी 2008 को समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के काफिले को जांच के दौरान रोके जाने को लेकर आजम खान नाराज हो गये। इसके बाद वह हरिद्वार राजमार्ग पर धरने पर बैठ गए और हंगामा किया था।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि आसपास के जिलों से भी सपा नेता के समर्थन में मौके पर काफी लोग पहुंच गए थे, जिससे हरिद्वार मार्ग पर जाम लग गया और यातायात व्यवस्था ठप हो गई थी।
इस मामले को लेकर छजलैट थाना पुलिस ने आजम खान समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, तब से लेकर अभी तक मामले की सुनवाई चल रही थी।
अब्दुल्ला आजम खान पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में रामपुर जिले के स्वार विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं।