अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने दावा किया है कि विदेश नीति को लेकर स्वतंत्र रुख अपनाने वाले भारत को चीन के आक्रामक कदमों के कारण अपनी रणनीतिक स्थिति में बदलाव करना पड़ा और वह चार देशों के समूह ‘क्वाड’ में शामिल हुआ।
भारत और चीन के बीच 31 महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध जारी है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून, 2020 में घातक झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।
भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्र में शांति स्थापित नहीं हो जाती, द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
पोम्पिओ ने मंगलवार से बाजार में उपलब्ध हुई अपनी पुस्तक ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर अमेरिका आई लव’ में भारत को क्वाड में ”वाइल्ड कार्ड” (अचानक प्रवेश करने वाला) बताया, क्योंकि वह समाजवाद की विचारधारा पर स्थापित राष्ट्र है और उसने शीत युद्ध में न तो अमेरिका और नहीं तत्कालीन यूएसएसआर का साथ दिया था।
पोम्पिओ ने अपनी किताब में लिखा, ”भारत ने किसी भी वास्तविक गठबंधन प्रणाली के बिना अपना रास्ता खुद बनाया है और मोटे तौर पर अब भी ऐसा ही है, लेकिन चीन के कदमों के कारण भारत ने पिछले कुछ साल में अपना रणनीतिक रुख बदला है।”
पोम्पिओ ने बताया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन किस प्रकार क्वाड समूह में भारत को शामिल करने में सफल रहा।
अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने संसाधनों से संपन्न हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार से निपटने के लिए क्वाड का गठन किया था।
पोम्पिओ ने लिखा, ”चीन ने अपने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के जरिए भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के साथ निकट साझेदारी की।” उन्होने कहा, ”चीनी बलों ने जून 2020 में सीमा पर झड़पों में 20 भारतीय जवानों की हत्या कर दी। उस घटना के कारण भारतीय जनता ने चीन के साथ अपने देश के संबंधों में बदलाव की मांग की।”