दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर से सत्ता में आने का ख्वाब देख रही कांग्रेस पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
रविवार को कांग्रेस पार्टी में अंतर्कलह तब खुलकर सामने आ गई जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बयानबाजी से नाराज होकर पीसीसी के 13 सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया।
तेलंगाना में अंर्तकलह पार्टी के लिए इसलिए भी चिंता का कारण है क्योंकि मुश्किल से डेढ़ महीना पहले राहुल गांधी ने हैदराबाद में भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी।
इस यात्रा में वरिष्ठ नेताओं ने उपस्थिति दिखाकर एकता का संदेश दिया था लेकिन, यह संदेश कुछ ही दिनों में काफूर हो गया।
उधर, पीसीसी चीफ रेवंत रेड्डी इस बारे में स्टैंड लेने के बजाय हाईकमान के भरोसे बैठे हैं।
दो नवंबर को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा हैदराबाद के चार मीनार पहुंची थी। यहां राहुल गांधी के साथ खड़े होकर प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेताओं ने एकता का संदेश दिया था।
मुश्किल से डेढ़ महीने का वक्त बीता है और पीसीसी के 13 वरिष्ठ सदस्यों ने बगावत दिखाकर पार्टी को अलविदा कह दिया।
दरअसल, तेलंगाना कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई कोई नई बात नहीं है। पीसीसी चीफ रेवंत रेड्डी के खिलाफ पहले से पार्टी के कई नेता विरोध के स्वर उठा चुके हैं।
अब वरिष्ठ नेताओं की बयानबाजी ने गुस्से के घड़े को फोड़ दिया।
शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और आंध्रप्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम दामोदर राज नरसिंह ने यह कहकर नया बवाल शुरू कर दिया था कि अगर दूसरे दलों से कांग्रेस में आने वालों को पार्टी में प्राथमिकता दी जाएगी, तो इससे मूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच क्या संदेश जाएगा।
उनका संदर्भ टीडीपी नेताओं का कांग्रेस जॉइन करने से था। यही नहीं पार्टी के एक और नेता उत्तम कुमार की ओर से आरोप लगाया गया था कि पीसीसी के 50% से अधिक सदस्य ऐसे नेता हैं जो पहले टीडीपी से जुड़े थे।
वहीं, सालों से कांग्रेस के लिए काम करने वाले नेताओं को निराशा हाथ लगी है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के 13 सदस्यों ने कुछ वरिष्ठ नेताओं की टिप्पणियों के विरोध में रविवार को इस्तीफा दे दिया कि अन्य दलों से कांग्रेस में आए लोगों को प्रमुखता मिली है।
इन 13 सदस्यों में कांग्रेस विधायक डी. अनसूया (सीतक्का) और पूर्व विधायक वी. नरेंद्र रेड्डी जैसे बड़े चेहरे भी शामिल हैं।