पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में थर्ड जेंडर को शामिल करने के लिए महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) ने मंगलवार को राज्य सरकार को चार दिसंबर तक का समय दिया है।
अध्यक्ष मृदुला भाटकर और सदस्य मेधा गाडगिल ने यह निर्देश पुणे निवासी निकिता मुखियादल (34) के एक आवेदन पर दिया, जिसने पुणे जिले में पुलिस कांस्टेबल के 216 पदों के ऑनलाइन आवेदन में थर्ड जेंडर के ऑप्शन को भी देने की मांग की थी।
शिकायतकर्ता के अनुसार वेबसाइट पर केवल दो ऑप्शन महिला और पुरुष के रूप में मौजूद हैं। वह खुद को थर्ड जेंडर के रूप में चिन्हित करती हैं जिस कारण वह फॉर्म भरने में असमर्थ हो गई हैं।
मुखियादल के आवेदन में कहा गया है कि एक ट्रांस व्यक्ति को मौका न देना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है।
साथ ही इसमें 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने के फैसले की भी बात कही गई है।
मुखियादल के वकील श्रेयस बरसवड़े ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिख कर ने उनसे हस्तक्षेप करने और पुलिस कांस्टेबल भर्ती में ट्रांसजेंडरों के लिए तीसरा विकल्प प्रदान करने का अनुरोध किया था लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
बरसावड़े ने कहा मुखियादल ने इसके बाद सीधे बॉम्बे हाई में याचिका दायर की थी जहां से उन्हें महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) जाने को कहा गया था।
राज्य ने किया विरोध
मुख्यादल के आवेदन का विरोध करते हुए, राज्य की वकील स्वाति मांचेकर ने कहा कि वह पहले ही एक अन्य ट्रांसजेंडर के संबंध में एमएटी के आदेशों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट जा चुकी हैं।
मंचेकर ने पीठ से आदेश पारित नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि राज्य को भी इसे हाईकोर्ट में चुनौती देनी होगी जिससे मामलों की संख्या बढ़ जाएगी।
हालांकि एमएटी की पीठ ने कहा कि वह अपने पुराने आदेश का पालन करेगी और राज्य को वापस थर्ड जेंडर को शामिल करने का अंतिम मौका देगी।