AIIMS Bhopal : भोपाल. डायबिटिक किडनी रोग के कारण क्रोनिक किडनी रोग के बढ़ते बोझ को देखते हुए, नेफ्रोलॉजी, जनरल मेडिसिन और डायटेटिक्स विभाग द्वारा एम्स, भोपाल के व्याख्यान कक्ष में डायबिटिक किडनी रोगों के प्रति दृष्टिकोण और प्रबंधन संबंधी नए विकास पर चर्चा करने और ज्ञानवर्धन के उद्देश्य से “डायबिटिक किडनी बीमारी पर अद्यतन जानकारी” विषय पर सीएमई का आयोजन किया गया । सीएमई का शुभारंभ प्रो. (डॉ.) अजय सिंह कार्यपालक निदेशक और सीईओ एम्स, भोपाल ने किया ।
अपने संबोधन में प्रो. सिंह ने डायबिटीज़ और इसकी जटिलताओं को देखते हुए नए उपचार और प्रबंधन के उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया, इस बीमारी अर्थात डायबिटिक किडनी की बीमारियों के बारे में आम जनता में अत्यधिक जागरूकता और संवेदनशीलता होने के बावजूद इसकी रोकथाम करना कठिन हो रहा है ।
कार्यपालक निदेशक ने बताया कि एम्स भोपाल के छात्रों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए एम्स, भोपाल में एक पाठ्यक्रम समिति का गठन किया गया है और अध्ययनरत छात्रों द्वारा दिए गए सुझावों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा । इस अवसर पर अन्य गणमान्य अतिथियों में डीन रिसर्च प्रो. देबासिस बिस्वास, एसोसिएट डीन डॉ. कौर भी मौजूद थे ।
सीएमई के दौरान मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर (डॉ) रजनीश जोशी ने उपस्थित लोगों को डायबिटिक किडनी की क्षति में शामिल क्षति के नए मार्गों से अवगत कराया जिन्हे ध्यान मे रखकर बेहतर उपचार किया जा सकता है । नेफ्रोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. महेंद्र अटलानी ने बताया कि गैर स्टेरायडल एमआरए श्रेणी के तहत एक दवा की एक नई श्रेणी बाजार में उपलब्ध है, जिसे सख्त पर्यवेक्षण और उचित निगरानी के साथ डायबिटिक किडनी बीमारी के इलाज के लिए एड-ऑन थेरेपी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ।
वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ भावना अहिरवार ने बताया कि उचित आहार से डायबिटिक किडनी रोग के बढ़ने की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है । डॉ. हम्सा के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ । कार्यक्रम का संचालन आहार विशेषज्ञ अमृता सक्सेना ने किया ।